रामानंद पद्धति से होगी प्रभु श्री राम की पूजा... जानिए क्या है रामानंद संप्रदाय
अयोध्या में प्रभु श्री राम के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम की भव्य तैयारियां की जा रही है।
अयोध्या में प्रभु श्री राम के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम की भव्य तैयारियां की जा रही है। आपको बता दें कि ये कार्यक्रम 22 जनवरी 2023 को होने जा रहा है। जिसमें प्रभु श्री राम नए गर्भग्रह में विराजेंगे। बताया जा रहा है कि श्री राम की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान होने वाली पूजा-अर्चना रामानंद पद्धति के अनुसार होगी।
विस्तार
आपको बता दें कि प्रभु राम के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में होने वाले पूजा अनुष्ठान में रामानंद पद्धति के अनुसार की जाएगी। बता दें कि भगवान राम इस मंदिर में बाल अवस्था में होंगे। ऐसे में पूजा-पाठ के दौरान भी इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा और उनका वैसे ही ध्यान रखा जाएगा जैसे एक बालक का रखा जाता है। इसके साथ-साथ ‘हिन्दुओं के सबसे बड़े संप्रदायों में से एक है,रामानंद संप्रदाय जो की प्रभु श्री राम के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान होने वाली पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे।
क्या है रामानंदी संप्रदाय
आध्यात्मिक अद्भुति का स्रोतरामानंदी संप्रदाय, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण संप्रदाय है जो भगवान राम के आदर्शों और उनकी भक्ति पर आधारित है। इस संप्रदाय की उत्पत्ति महान संत रामानंद के साथ जुड़ी है, जिन्होंने अपने आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेम के माध्यम से लोगों को भगवान के प्रति समर्पित किया।रामानंदी संप्रदाय का मूल उद्देश्य भगवान राम की भक्ति में समर्पण करना है। इस संप्रदाय के अनुयायी भगवान राम को सर्वोपरि और परमतत्त्व मानते हैं और उनके आदर्शों का अनुसरण करके अपने जीवन को पूर्णता की दिशा में बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
इस संप्रदाय में 'भजन' और 'कीर्तन' का विशेष महत्व है। समय-समय पर संत सभाओं में भगवान के गुणगान का समर्पण करने के माध्यम से भक्ति बढ़ाते हैं और आत्मा को दिव्य अनुभव का अवसर प्रदान करते हैं।रामानंदी संप्रदाय ने समाज में सद्गुण और सेवा की भावना को बढ़ावा दिया है। इससे ही उसके अनुयायी राम मंदिर के निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं और इसे एक आध्यात्मिक केंद्र बनाने का संकल्प लेकर समर्थन कर रहे हैं।रामानंदी संप्रदाय ने आध्यात्मिक साधना के माध्यम से समाज को एक उच्च आदर्शों की दिशा में प्रेरित किया है, जिससे समृद्धि, शांति, और सद्गुण हीरा उत्पन्न हो सकता है।
श्री राम मंदिर-आत्मा का एक अद्भुत प्रतिष्ठान
भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घड़ी आने वाली है, जब श्रीराम मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है। यह अनदेखा और बेमिसाल क्षण होगा, जब भगवान राम के मन्दिर को उनके असली स्थान पर स्थापित किया जाएगा। श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव विशेष आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ आने वाला है। इसका आयोजन भगवान राम के भक्तों और देवों के समर्थन में किया जा रहा है, जो एक समृद्धि और समर्पण का संकल्प रखते हैं। प्राणप्रतिष्ठा के इस क्षण में श्रद्धालुओं को अपने मन, वचन, और कर्म से भगवान के प्रति समर्पित करने का एक अद्वितीय अवसर मिलेगा।
मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा एक सामाजिक समर्थन और एकता का पर्व होगा, जो भारतीय समाज को सांस्कृतिक सामरिकी में मिलकर सशक्त करेगा। इस अद्वितीय समय में, भक्तों को अपने मानवता और धार्मिक सिद्धांतों के प्रति समर्पित रहकर अपनी आत्मा को महसूस करने का एक अद्वितीय अवसर मिलेगा। श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा एक नये युग की शुरुआत को चिह्नित करेगी, जो सामाजिक सामंजस्य और धर्मिक सहयोग के माध्यम से भारतीय समृद्धि की दिशा में बढ़ेगा।इस शानदार प्रतिष्ठा के साथ, हम सभी को एक नए आरंभ की उम्मीद है, जो समृद्धि, शांति, और सामरिक समृप्ति की दिशा में एक सकारात्मक परिवर्तन लाएगा। भगवान राम के मंदिर का निर्माण और प्राण-प्रतिष्ठा समारोह हमें एक साथ आगे बढ़ने के लिए संगीत, आत्मा, और सेवा के साथ मिलकर सामरिकी की दिशा में प्रेरित करेगा।
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