महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर अभी भी स्थिति साफ़ होती हुई नजर नहीं आ रही है. बीजेपी से गठबंधन तोड़कर एनसीपी तथा कांग्रेस के सहयोग से अपना मुख्यमंत्री बनाने का सपना पाले बैठी शिवसेना अब बैकफुट पर नजर आ रही है. इसके पीछे एनसीपी प्रमुख शरद पवार तथा पीएम मोदी के कल के बयान हैं. कल सुबह शरद पवार ने गुगली फेंकी कि सरकार बनाने की जिम्मेदारी उनकी नहीं बल्कि शिवसेना तथा बीजेपी की है, इसके बाद पीएम मोदी ने राज्यसभा में एनसीपी की तारीफ का जो बाउंसर मारा, उसने शिवसेना खेमे में हलचल मचा दी है.
इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात के बाद भी शरद पवार ने जो कहा, उसने शिवसेना के माथे पर बल ला दिए हैं. सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि अंदरखाने शिवसेना में इस बात की चर्चा होने लगी है कि दोबारा बीजेपी से ही हाथ मिला जाए. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कहा था कि उन्होंने सोनिया गांधी के साथ न तो शिवसेना और न ही सरकार बनाने के बारे में बात की. पवार के इस बयान से शिवसेना के नेता के साथ-साथ कार्यकर्ता भी भ्रम की स्थिति में पहुंच गए हैं.
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़,बदली परिस्थिति में शिवसेना के नेता पर्दे के पीछे से कहने लगे हैं कि पार्टी के लिए यह अच्छा होगा कि वह एनसीपी से बातचीत छोड़ बीजेपी के साथ दोबारा सरकार बनाए. शिवसेना के एक विधायक ने कहा कि वह शरद पवार का बयान सुनकर ‘सकते’ में है. शिवसेना विधायक ने कहा, ‘हमारी पार्टी को इंतजार करना चाहिए और एनसीपी सुप्रीमो के साथ जाने से पहले 10 बार विचार करना चाहिए.’ उधर, शिवसेना के एक पदाधिकारी ने सवाल किया, ‘यह किस तरह की राजनीति है? शिवसेना जैसी पार्टी जो 80 फीसदी सामाजिक सेवा और 20 प्रतिशत राजनीति करती है, के लिए यह बेहतर होगा कि वह एनसीपी-कांग्रेस से दूर रहे और बीजेपी के साथ हाथ मिला ले.’
इसके अलावा कल शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत के तेवर भी बदले बदले से नजर आये. संजय राउत ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बयान पर कहा था, ‘सरकार बनाने की जिम्मेदारी शिवसेना की नहीं थी. यह जिनकी जिम्मेदारी थी, वे भाग निकले हैं. लेकिन मुझे भरोसा है कि हम जल्दी ही सरकार बना लेंगे.’ अब तक सरकार बनाने का दावा करने वाले संजय राउत का अब जिम्मेदारी की बात कहना बताता है कि कहीं न कहीं कुछ पेच जरूर फंस गया है.
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने शिवसेना के साथ किसी मिनिमम कॉमन प्रोग्राम पर सहमति से ही इनकार कर दिया था. यही नहीं, उन्होंने सरकार गठन को लेकर शिवसेना को किसी तरह का भरोसा दिए जाने के सवाल पर भी चुप्पी साध ली थी. इस पर दक्षिण मुंबई से एक शिवसेना के वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा कि पार्टी को कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन नहीं करना चाहिए और अगर बीजेपी के साथ उसके रिश्ते सहज नहीं है तो उसे अकेले चलना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी नहीं तो शिवसेना को बिना अपने अजेंडे का त्याग किए अकेले जाना चाहिए. पार्टी अगर समान विचारधारा वाली पार्टी के साथ नहीं जाना चाहती है तो उसे अकेले लड़ाई लड़नी चाहिए.