बलिदान जगना चाहिए
जब तलक पीते रहे तुम खून हम खामोश थे ,
अब वतन को पी रहे हो यह सहन कैसे करे |
कितने बिस्मिल और ′भगत ′ मोहताज रोटी के लिए ,
बोलिये हम इस व्यवस्था को नमन कैसे करें ||
इसलिए कहता हूँ मित्रो बात क्या मनुहार की ,
यदि होंसला है तो यहाँ ललकार की बातें करो |
जो बचाना चाहते हो अपने हिन्दुस्तान को ,
तो बात क्या श्रृंगार की अंगार की बाते करो ||
अंगार की बातों का मतलब आग भड़काना नहीं ,
सरफ़रोशी की दिलों में आग लगनी चाहिए |
सो रही है जो न जाने कितने सदियों से यहाँ ,
वक्त की आवाज है वह कौम जगनी चाहिए ||
कौम जगनी चाहिए ईमान जगना चाहिए ,
राष्ट्रभक्ति , त्याग और अभिमान जगना चाहिए |
राष्ट्र एकता , अखंडता , सुरक्षा के लिए ,
देश में पुरुषत्व और बलिदान जगना चाहिए ||