एक तरह से माना जाए तो चीन में इस्लाम के सिद्धांतों में बदलाव किया जा रहा है. अर्थात चीन का जो इस्लाम होगा वो पूरी दुनिया के इस्लाम से अलग तरह का इस्लाम होगा. इसका खाका तैयार किया जा चुका है.
पहले से ही इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाने वाला चीन अब और अधिक आक्रामकता से पेश आ रहा है. चीन में अल्पसंख्यक मुस्लिम सभ्यता और परंपराओं को कम्युनिस्ट पार्टी के समाजवादी सांचे में ढालने की राष्ट्रपति शि जिनपिंग की नीति को आक्रामक तरीके से लागू करने के प्रयास शुरू कर दिए गये हैं. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इन नीतियों में इस्लाम का चीनीकरण किया गया है, अर्थात इस्लामिक परंपराओं में चीन के अनुसार बदलाव किये जा रहे हैं.
चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि चीन जल्द ही इस्लाम के ‘चीनीकरण’ का खाका जारी करने वाला है. इसने बीजिंग और शंघाई समेत आठ प्रान्तों और क्षेत्रों के इस्लामिक संगठनों को कहा है कि वे मुस्लिम प्रथाओं और मान्यताओं को कम्युनिस्ट तौर-तरीके के मुताबिक ढाल लें. चीन की इस पहल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई मुल्क व्यापक आलोचना कर रहे हैं लेकिन अरब जगत ने इस पर रहस्यमय चुप्पी साध रखी है.
‘ग्लोबल टाइम्स’ की रिपोर्ट बताती है कि इस खाके को अगले पांच वर्षों में लागू कर दिया जाएगा. पश्चिमी मीडिया के मुताबिक, यह खाका एक कानून की शक्ल में है, ‘जिसमें स्पष्ट किया गया है कि इस्लाम के चीनीकरण के लिए प्रारम्भिक तौर पर क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं. यह कदम जिनपिंग के राज में धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर उइघर मुसलमानों के अधिकारों और प्रथाओं के खिलाफ (कम-से-कम 2014 से) चलाई जा रही बड़ी मुहिम का हिस्सा है. चीन का दावा है कि ये समुदाय धार्मिक उग्रवाद को अपना सकता है, और वह इस क्षेत्र में आतंकवाद को पनपने का मौका नहीं देना चाहता.