वो वंदेमातरम जिसके स्मरण मात्र से ही राष्ट्रभक्तों के रौंगटे खड़े हो जाते हैं, देशप्रेम की भावना का ज्वार उमड़ने लगता है.. वो वंदेमातरम जिसको गाते हुए अमर हुतात्मा भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, आज़ाद, उधम सिंह, लाला जी आदि ने आजादी की लड़ाई लड़ी तथा हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान दिया.. वो वन्देमातरम जो हमेशा से ही राष्ट्रवाद की ज्वलंत प्रेरणा रहा है तथा आज भी वन्देमातरम के इसी मंत्र का उद्घोष करते हुए भारतीय सेना के जांबाज जवान दुश्मनों से राष्ट्र की रक्षा कर रहे हैं.
उस महान वन्देमातरम के खिलाफ एक बार फिर से कथित सेक्यूलरिज्म की आड़ में एक आवाज बुलंद हुई है तथा ये आवाज है उस समाजवादी पार्टी के सांसद की, जो बड़ी मुश्किल से 5 सीटों पर जीत हासिल कर पाई. खबर के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश की संभल लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतने वाले सफीकुर्रह्मान बर्क ने एलान कर दिया है कि वह किसी भी हालात में वन्देमातरम नहीं गायेंगे. बर्क ने कहा है कि केवल वही देशभक्त नहीं होते जो वंदे मातरम गाते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ भी हो जाए ललेकिन वह वन्देमातरम नहीं गायेंगे.
ज्ञात हो कि लोकसभा चुनावों में इसी कथित सेक्यूलरिज्म तथा तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ राष्ट्रवाद के नाम पर भारतीय जनता पार्टी को विशाल जनादेश दिया है तथा बसपा के गठबंधन के बाद भी समाजवादी पार्टी महज 5 सीटों पर जीत हासिल कर पाई है. जो सपा 30 से ज्यादा सीटों पर जीत के दावे कर रही थी, उसे यूपी की जनता ने 5 पर समेट दिया लेकिन इसके बाद भी सपा सांसद वन्देमातरम की खिलाफत से बाज नहीं आये तथा खुलेआम एलान कर दिया कि वह वन्देमातरम नहीं गायेंगे.
बता दें कि बर्क ने 1997 में संसद के 50 साल पूरे होने पर आयोजित स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में भी वंदे मातरम का बहिष्कार किया था. इसको लेकर तब उनका तर्क था कि वंदेमातरम का मतलब भारत माता की पूजा या वंदना करना है और इस्लाम में पूजा करना जायज नहीं है. इसके अलावा 2013 में भी बर्क ने वन्देमातरम के का बहिष्कार करते हुए ससंद से वाकआउट किया था.