तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता खुद को लोकतंत्र का सबसे बड़ा पैरोकार बताती हैं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरे देश में घूम घूम कर कह रही हैं कि प्रधान्म्नात्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार देश में तानाशाही चला रही है तथा लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास भी कर रही हैं. यही कारण है कि तृणमूल प्रमुख तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश के विभिन्न राजनातिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए मोदी सरकार के खिलाफ एक नया महागठबंधन बनाने का भी प्रयास कर रही हैं.
मोदी सरकार को तानाशाही की सरकार बताकर खुद को लोकतंत्र का पैरोकार बताने वाली ममता बनर्जी के शासन वाले राज्य पश्चिम बंगाल की क्या वास्तविक स्थिति है वह जानना जरूरी है. हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में ममता बनर्जी की पार्टी ने जीत हासिल की है, लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि इन चुनावों के दौरान तथा नतीजे आने के बाद से ही विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों का जीना मुहाल हो रखा है. बीजेपी से लेकर सीपीएम तक, सैकड़ों कार्यकर्ताओं को बेघर होना पड़ा है. कई को अपने गांव छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है. पंचायत चुनाव नतीजे आने के बाद से ही राजनीतिक हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा, ये स्थिति पूरे राज्य में ही देखी जा रही है, लेकिन कुछ जिले हिंसा की मार से बुरी तरह प्रभावित हैं. मई के पूरे महीने में राज्य में हत्या, धमकी, गुंडागर्दी, बूथ कैप्चरिंग जैसी घटनाएं सामने आती रहीं.
आपको बता दें कि राज्य के तारानगर के बेलादुर्गानहर गांव की रहने वालीं महादेवी हालदार ने सीपीएम के टिकट पर ग्राम पंचायत चुनाव जीता, लेकिन अब बीजेपी को समर्थन कर रही हैं. महादेवी का कहना है कि वे टीएमसी के उत्पीड़न की शिकार हैं. महादेवी के मुताबिक टीएमसी समर्थकों ने उनके क्षेत्र में 41 घरों को जला दिया. महादेवी का ये भी कहना है कि उन्हें टीएमसी के समर्थन के लिए पैसे की पेशकश की जा रही है, लेकिन वो ऐसा कभी नहीं करेंगी. वहीं दक्षिण 24 परगना जिले के तटीय इलाके में रहने वाली सीपीएम समर्थक पुष्पिता बारूई ये याद कर सिहर उठती हैं कि कैसे परिवार समेत उनके घर को जला दिया गया था. पाथार प्रतिमा ब्लॉक में रहने वाली पुष्पिता का कहना है कि सीपीएम की विचारधारा में विश्वास रखने की वजह से उनके घर को जलाया गया. पुष्पिता और उनके परिवार को बेघर होने की वजह से अब पार्टी ऑफिस में ही शरण लेकर रहना पड़ रहा है. बीते कई दिनों से एक ही साड़ी में गुजारा कर रही पुष्पिता कहती हैं कि उन्हें नहीं पता कि कब उनका परिवार अपने घर लौट सकेगा.
बिलकुल यही हालात शर्मिला बारूई के भी है. सीपीएम की ही समर्थक शर्मिला का कहना है कि उनके सारे पेड़ पौधों को उखाड़ दिया गया था. जब शर्मिला ने शिकायत की तो टीएमसी समर्थकों ने कहा कि क्या ये तुम्हारे पिता की संपत्ति है. शर्मिला ने पुलिस स्टेशन में शिकायत की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. शर्मिला का आरोप है कि एक हफ्ते बाद उसके पति का अपहरण कर लिया गया. शर्मिला के मुताबिक उसकी पिटाई भी की गई. तीन दिन तक शर्मिला का परिवार घर से बाहर भी नहीं निकल सका और बच्चे भूख के बावजूद सहमे हुए अंदर ही बैठे रहे. शर्मिला का आरोप है कि उन्हें टीएमसी समर्थकों ने धमकी दी थी कि जब भी घर से बाहर निकली तो निर्वस्त्र कर दिया जाएगा. शर्मिला के मुताबिक एक दिन उनके घर को आग लगा दी गई और वो बच्चों के साथ किसी तरह बड़ी मुश्किल से जान बचा कर भाग सकीं.
इसी तरह पाथार प्रतिमा ब्लॉक में ही रहने वाले सीमांता बारूई पेशे से राज मिस्त्री हैं. सीपीएम समर्थक सीमांता का आरोप है कि कुछ दिन पहले टीएमसी कार्यकर्ताओं ने घर में आकर लूटपाट की और साथ ही धमकी दी कि या तो हमारा समर्थन करना पड़ेगा नहीं तो नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहो. सीमांता के मुताबिक गोवर्धनपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत भी की गई, लेकिन वहां के इंचार्ज ने कुछ नहीं किया.
सीमांता का कहना है कि उन्हें जान बचाने के लिए तीन दिन जंगल में छुप कर रहना पड़ा, फिर नदी में तैर कर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचा. सीमांता के मुताबिक अब भी डर के मारे वो घर के अंदर ही रहते हैं. सीमांता का ये भी कहना है कि उनका सब कुछ लूट लेने के साथ उनके घर को भी आग लगा दी गई. सीमांता भी पार्टी दफ्तर में शरण ले कर रहने को मजबूर हैं. दक्षिण 24 परगना जिले में बीजेपी ने 15 ग्राम पंचायतों पर जीत हासिल करने में कामयाबी पाई, लेकिन अब पार्टी के सभी विजयी उम्मीदवारों को धमकाया जा रहा है या अपने घरों से बाहर रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है. खास तौर पर महिला उम्मीदवारों को परेशान किया जा रहा है.
माल्दा जिले के बीजेपी अध्यक्ष सुब्रतो कुंडू कहते हैं कि चुनाव में जहां जहां भी बीजेपी जीती वहां से बड़ी हिंसा की खबरें हैं. कुंडू का आरोप है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं के अपहरण में पुलिस अधिकारियों और अपराधियों की साठगांठ है. कुंडू ने कहा कि जैसे ही हमें ये जानकारी मिली, हमने अपने सभी नेताओं को जिला पार्टी दफ्तर में बुलाकर उनकी सुरक्षा के इंतजाम किए.