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'मेरे करियर का सबसे अच्छा और संतोषजनक पल जी-20 शिखर सम्मेलन का समापन था', एस. जयशंकर ने कई मुद्दों पर कही ये बात

केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि उनके जीवन का सबसे खास लम्हा क्या था? वहीं, उन्होंने विश्व भर के देशों से संबंध गहरे होने पर भी बात-चीत की।

Ankur Pratap
  • May 11 2024 1:33PM
केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि उनके जीवन का सबसे खास लम्हा क्या था? वहीं, उन्होंने विश्व भर के देशों से संबंध गहरे होने पर भी बात-चीत की। जयशंकर ने कहा कि अगर उनके करियर का सबसे अच्छा और संतोषजनक पल जी-20 शिखर सम्मेलन का समापन था, तो सबसे खास पिछले पांच वर्षों के दौरान अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूएई और जापान जैसे कुछ देशों के साथ गहरे होते संबंधों को देखना था। जयशंकर ने कहा कि पिछले 5 सालों में इन संबंधों में काफी बदलाव आया है। क्वाड के विकास को लेकर डेढ़ दशक पहले प्रयास किया गया था, लेकिन सफल नहीं हुए थे। हालांकि, इस बार दूसरी बार इसे आजमाया और वास्तव में यह काम कर गया।

एस. जयशंकर ने क्या कहा? 

जयशंकर ने आज से 10 साल में विश्व के बारे में अपना नजरिया, भारत के समक्ष चुनौतियां और अपने कार्यकाल के तहत अंतरराष्ट्रीय जगत में देश के उभरते कद समेत कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि पिछले साल जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करना सिर्फ कठिन काम नहीं था क्योंकि कई मायनों में देश की प्रतिष्ठा इस पर निर्भर थी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सबसे संतोषजनक पल वह था जब हमने वास्तव में जी-20 शिखर सम्मेलन में संयुक्त घोषणा की थी। यह एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया थी। उस सुबह तक बहुत से लोग सोच रहे थे कि हम वास्तव में सभी को इस पर सहमत नहीं कर पाएंगे। हालांकि एक मंत्री के तौर पर मुझे यही कहना था कि निश्चित तौर पर ऐसा ही होगा। यह मेरे कार्यकाल का काफी संतोषजनक पल था। 

यह भारत की जी-20 अध्यक्षता के लिए एक महत्वपूर्ण जीत थी 

पीएम मोदी ने 9 मई को नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन को अपनाने की घोषणा की थी। यह भारत की जी-20 अध्यक्षता के लिए एक महत्वपूर्ण जीत थी, जो यूक्रेन संघर्ष पर बढ़ते तनाव और अलग-अलग विचारों के बीच आई थी। जयशंकर ने कहा कि यह हमारे इतिहास की सबसे बड़ी कूटनीतिक जिम्मेदारी थी। जिस तरह से हमने इसे पूरा किया वह भी बहुत अनूठा था। मैं लंबे समय से इस काम में हूं। मैंने विदेश नीति का ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं देखा, जिससे भारतीय जनता इतनी जुड़ी और निहित हो।

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