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गौ, गौवंश या उसके प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों को देखकर 'ओह शिट!' बोलते हुए मुँह कम बिचकाएँ या नाक-भौं न सिकोड़ें

वामियों, खुश तो हैं न आप! यह आपके आदर्श यानि वर्ग-भेद मिटाने या वर्ग विहीन समाज की स्थापना की दिशा में एक ठोस एवं सुखद क़दम है।

Vidyarthi Shivam
  • Jan 29 2022 7:37PM
दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के इस पहल की जितनी सराहना की जाय, कम है। हंसराज कॉलेज ने  "स्वामी दयानंद सरस्वती गौ-संवर्द्धन एवं अनुसंधान केन्द्र" की स्थापना कर दी है। यही नहीं, कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा है कि हमलोग अपने यहाँ सिर्फ गायों पर रिसर्च ही नहीं करेंगे, बल्कि इन गायों के पौष्टिक दूध, दही और घी अपने विद्यार्थियों को भी खिलायेंगे। 

प्रिंसिपल के अनुसार यह कॉलेज डीएवी ट्रस्ट से संबंधित है, इसलिए आर्य समाज की परंपरा को ध्यान में रखते हुए कॉलेज प्रत्येक महीने में एक दिन हवन करेगा और उसमें सभी शिक्षक और विद्यार्थी सम्मिलित होंगे।

हंसराज कॉलेज की यह पहल इंडिया को भारत से जोड़ने वाली है, गौ की उपयोगिता एवं सांस्कृतिक महत्ता को प्रतिपादित करने वाली है,  देश के विकास में यह योगदान देने की अनूठी पहल है। यदि दृष्टि हो तो इससे 'श्रम के प्रति गरिमा' का बोध भी विकसित होगा। अपने 
''टॉमी'' को अपनी कार या गोद में बिठाकर घूमने वाले कथित हाई क्लास लोग अब संभवतः गौ, गौवंश या उसके प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों को देखकर 'ओह शिट!' बोलते हुए मुँह कम बिचकाएँ या नाक-भौं न सिकोड़ें।

वामियों, खुश तो हैं न आप! यह आपके आदर्श यानि वर्ग-भेद मिटाने या वर्ग विहीन समाज की स्थापना की दिशा में एक ठोस एवं सुखद क़दम है। देखिए, बार-बार के हो-हल्ले के कारण ऐसे ही देश ने आपको गंभीरता से लेना बंद कर दिया है। कभी तो देश की माटी और संस्कृति से जुड़िए या जुड़ने का संकेत भर दीजिए

नोट:- ''टॉमी' को एक साधारण कुत्ता कहने या समझने की भूल ''टॉमी प्रेमी क्लास' की दृष्टि में अक्षम्य अपराध है। कृपया ऐसे अपराध या अपमान करने की धृष्टता न करें। यकीन न हो तो किसी 'टॉमी-प्रेमी क्लास' के समक्ष उनके 'प्रिय टॉमी' को 'कुत्ता' कहने की हिमाक़त करके दिखाएँ!
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