आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus) के एक्सपर्ट्स वर्किंग ग्रुप (EWG) की 14वीं बैठक 19-20 मार्च 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी। इस बैठक की सह-अध्यक्षता भारत और मलेशिया करेंगे। बैठक में 10 आसियान सदस्य देशों (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर और थाईलैंड) और आठ संवाद साझीदारों (ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, जापान, चीन, अमेरिका, रूस) के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, टिमोर-लेस्ते और आसियान सचिवालय भी बैठक में भाग लेंगे।
भारत पहली बार करेगा EWG की सह-अध्यक्षता
भारत पहली बार EWG पर आतंकवाद विरोधी कार्य समूह की सह-अध्यक्षता करेगा। 19 मार्च 2025 को रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह उद्घाटन समारोह में मुख्य भाषण देंगे।
2024-2027 चक्र के लिए बैठक में की जाएगी रणनीतियों पर चर्चा
यह बैठक 2024-2027 के मौजूदा चक्र के लिए आतंकवाद विरोधी EWG की गतिविधियों की पहली बैठक होगी। इसमें आतंकवाद और चरमपंथ के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एक मजबूत और समग्र रणनीति तैयार करने पर चर्चा होगी। बैठक का उद्देश्य आसियान और इसके संवाद साझीदारों के रक्षा बलों के अनुभवों को साझा करना है। यह बैठक 2024-2027 के लिए योजनाबद्ध गतिविधियों/अभ्यास/सेमिनार/कार्यशालाओं के लिए आधार तैयार करेगी।
ADMM-Plus का उद्देश्य देशों के रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना
ADMM-Plus एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो भाग लेने वाले देशों के रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देता है। वर्तमान में यह सात प्रमुख क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करता है – आतंकवाद विरोधी, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन, शांति रक्षात्मक अभियान, सैन्य चिकित्सा, मानवीय खदान निष्कासन, और साइबर सुरक्षा। इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए EWG स्थापित किए गए हैं।
EWG की संरचना और कार्य
EWG को हर तीन साल के चक्र के दौरान एक आसियान सदस्य देश और एक संवाद साझीदार सह-अध्यक्षता करते हैं। सह-अध्यक्षों का कार्य होता है कि वे चक्र की शुरुआत में EWG के उद्देश्य, नीति दिशानिर्देश और मार्गदर्शन तय करें। इसके अलावा, प्रत्येक वर्ष में दो नियमित बैठकें आयोजित करें और तीसरे वर्ष में सभी सदस्य देशों के लिए किसी भी प्रकार का अभ्यास (जैसे, टेबल-टॉप, क्षेत्रीय प्रशिक्षण, कर्मचारी, संचार आदि) आयोजित करें ताकि तीन साल के चक्र में व्यावहारिक सहयोग की प्रगति की जांच की जा सके।