भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कोर कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर अंतिम मुहर लग गई है। वे 5 दिसंबर को शाम 5:30 बजे मुंबई के आज़ाद मैदान में उनका शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा। इससे पहले तीसरी बार महाराष्ट्र के CM बनने जा रहे देवेन्द्र फडणवीस के जीवन में झाँकते हुए कुछ रोचक घटनाओं पर गौर करते हैं...
बात दें कि 2024 के विधानसभा चुनाव में महायुति की शानदार जीत के बाद देवेंद्र फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुखता से उभरा था। इसके बाद चर्चा होने लगी थी कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने का विचार है। लेकिन आज की बैठक में इस कयास का अंत हो गया और फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया।
फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
देवेंद्र फडणवीस का प्रारंभिक जीवन
देवेंद्र फडणवीस का जन्म 22 जुलाई 1970 को नागपुर के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम देवेंद्र गंगाधर राव फडणवीस है। उनके पिता गंगाधर राव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ से जुड़े हुए थे, और वे महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके थे। दुर्भाग्यवश, महज 17 साल की उम्र में देवेंद्र के पिता का निधन हो गया था।
स्कूली जीवन और राजनीति में रुचि
फडणवीस के अंदर राजनीति का रूझान बचपन से ही था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल से की थी। एक रोचक घटना के रूप में, आपातकाल के दौरान उनके पिता की गिरफ्तारी के विरोध में फडणवीस ने स्कूल से अपना नाम कटवा लिया था। इसके बाद उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से राजनीति में कदम रखा और फिर बीजेपी के वार्ड संयोजक के रूप में भी कार्य किया। फडणवीस ने अपनी पढ़ाई में लॉ में स्नातक किया और इसके बाद बिजनेस मैनेजमेंट तथा जर्मनी से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की शिक्षा ली।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत
22 साल की उम्र में देवेंद्र फडणवीस ने 1992 में नागपुर नगर पालिका के चुनाव में पार्षद के रूप में जीत हासिल की। पांच साल बाद, 1997 में, वे नागपुर नगर निगम के मेयर बने। इसके बाद उन्होंने 1999 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और भाजपा को महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई दिशा दी।
इंदिरा गांधी का विरोध
युवा देवेंद्र का नाम शुरू में नागपुर के इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल में लिखा गया था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया था। हालांकि, देश के राजनीतिक माहौल ने उनके जीवन को प्रभावित किया। 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल ने भारत में एक भयावह स्थिति पैदा कर दी थी। इस दौरान कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया, जिनमें देवेंद्र के पिता गंगाधरराव भी शामिल थे।
पिता की गिरफ्तारी से उत्पन्न विद्रोह
गंगाधरराव जनसंघ के सदस्य थे और एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें लंबे समय तक जेल में रखा गया, जिससे देवेंद्र के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न हुई। वह अपने पिता के साथ हुए इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।
देवेंद्र के लिए यह कठिन समय था, और उनका विरोध उनके स्कूल से भी जुड़ा हुआ था। उन्होंने यह तय किया कि वह उस स्कूल में नहीं पढ़ेंगे, जिसका नाम उस व्यक्ति के नाम पर रखा गया था, जिसने उनके पिता को जेल भेजने का आदेश दिया था। इस कारण उन्होंने इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल में दाखिला लेने से मना कर दिया।
देवेंद्र ने अपनी जिद पर चलते हुए, अपने नाम को नागपुर के एक दूसरे स्कूल 'सरस्वती विद्यालय' में लिखा लिया। यह स्कूल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा था, और यहां से देवेंद्र ने अपनी अधिकांश स्कूली शिक्षा पूरी की। देवेंद्र ने बाद में नागपुर में धरमपेठ जूनियर कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई भी की, जहां उन्होंने अपने शिक्षा के प्रति लगन और मेहनत से उत्कृष्टता प्राप्त की।
मुख्यमंत्री बनने का सफर
2014 में, बीजेपी ने फडणवीस को महाराष्ट्र में पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया और विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की। भाजपा ने 122 सीटें जीती और शिवसेना के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। इसी समय, 44 साल की उम्र में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और वे राज्य के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बने।
2019 में उपमुख्यमंत्री का कार्यकाल
2019 में, फडणवीस ने फिर से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन उनकी सरकार केवल 80 घंटे ही चली। अजित पवार के समर्थन से बनी इस सरकार का पतन हुआ और उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद संभाला। 2022 में शिवसेना के एकनाथ शिंदे के बगावत के बाद, बीजेपी ने एकनाथ शिंदे का समर्थन किया और देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बना दिया।