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'बांग्लादेश को समझ जाना चाहिए, अन्यथा हम अपने तरीके से समझाएंगे...' हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर भड़के जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी ने नाराजगी जताई है।

Rashmi Singh
  • Nov 29 2024 3:41PM

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। यहां हिंदुओं पर अत्याचार और हिन्दू धर्मगुरू चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से देशों के रिश्ते खराब हो रहे है। इसी बीच जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी ने कहा कि, 'बांग्लादेश को ऐसा नहीं करना चाहिए। हम उन्हें समझा भी रहे हैं। नहीं तो अपने तरीके से समझा दिया जाएगा।'

जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी ने बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि, हमारी सरकार उन्हें समझा रही है, हम लोग बंग्लादेश को समझा रहे है। अभी समझा रहे है, नहीं समझे तो हम अपने तरीके से समझाएंगे। अब तो हमारे राजनेता भी समझा रहे हैं कि ऐसा नहीं करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर हिंदू एकता की बात दोहराई और कहा कि, 'हम अयोध्या जा रहे हैं हम रामलला से प्रार्थना करेंगे कि सभी हिंदुओं को एकजुट करें, अगर हिंदू एकजुट हो जाएंगे तो आसुरी शक्तियां अपने आप परास्त हो जाएंगी। 

चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा

बता दें कि, बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष और हिन्दू धर्मगुरू चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के विरोध में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आये हैं। इसी दौरान उन पर बीएनपी और जमात कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया, जिसमें 50 हिंदू घायल हो गए। चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने हर जिले में शांतिपूर्ण बैठकें आयोजित कीं। हालांकि, इन शांतिपूर्ण बैठकों पर चरमपंथी समूहों द्वारा हमला किया गया था। चटगांव में इस्लामिक समूहों ने हिंदू समुदाय के सदस्यों पर हमला किया।

कौन हैं चिन्मय प्रभु

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के एक प्रमुख नेता और इस्कॉन चटगांव के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं। लोग उन्हें चिन्मय प्रभु के नाम से भी जानते हैं। वह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जोरदार आवाज उठाते रहे हैं। बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से ज्यादा मंदिर हैं और इस संस्था से 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। 

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