आज से कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय दफ्तर स्थानांतरित होकर 9ए कोटला रोड पर शिफ्ट हो रहा है। अब तक पार्टी का दफ्तर 24 अकबर रोड पर था। इस बदलाव की शुरुआत आज यानी बुधवार को हुई, जब कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन और पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी नए दफ्तर का उद्घाटन किया। इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी उपस्थित रहें।
मगर, कांग्रेस के नए मुख्यालय को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, कुछ कार्यकर्ताओं ने इस भवन के बाहर 'सरदार मनमोहन सिंह भवन' के पोस्टर लगा दिए हैं, जिससे नाम को लेकर बहस शुरू हो गई है। यह नया दफ्तर दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस भवन की आधारशिला 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने रखी थी, और अब 15 साल बाद यह इमारत तैयार हुई है।
इंदिरा गांधी भवन: आधुनिक निर्माण
कांग्रेस पार्टी का नया मुख्यालय इंदिरा गांधी भवन के नाम से जाना जाएगा। यह इमारत छह मंजिला है और इसकी आधारशिला दिसंबर 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रखी थी। पार्टी के मुताबिक, इस इमारत का निर्माण कार्य लगभग डेढ़ दशक तक चला।
नए दफ्तर में बेहतर सुविधाओं का प्रबंध
कांग्रेस के नए मुख्यालय में पार्टी के विभिन्न संगठन, जैसे महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के दफ्तर भी होंगे। इसके अलावा, 26 अकबर रोड स्थित कांग्रेस सेवा दल के दफ्तर को भी यहां शिफ्ट किया जाएगा। पार्टी के वरिष्ठ नेता के. सी. वेणुगोपाल के अनुसार, यह इमारत पार्टी की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिसमें प्रशासनिक, संगठनात्मक और रणनीतिक उद्देश्यों के अनुसार आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
पुराने कार्यालय का महत्व बना रहेगा
हालांकि कांग्रेस पार्टी का नया हेडक्वार्टर तैयार हो चुका है, लेकिन पार्टी अपना पुराना दफ्तर 24 अकबर रोड को नहीं छोड़ेगी। इसे अब हाई-प्रोफाइल मीटिंग्स के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। एक कांग्रेस नेता के मुताबिक, 24 अकबर रोड का महत्व वैसा ही रहेगा, जैसा बीजेपी के पास 11 अशोक रोड है।
24 अकबर रोड का इतिहास
कांग्रेस पार्टी का दफ्तर 24 अकबर रोड पर पिछले 47 वर्षों से स्थित था। इस अवधि में कई प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष इस दफ्तर से जुड़े रहे हैं। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी. वी. नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में यह दफ्तर कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है।