जानकी जयंती, जिसे माता सीता की जयंती के रूप में मनाया जाता है, भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व रखती है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से सीता माता की पूजा अर्चना की जाती है और उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण उपदेशों को अपनाने का प्रयास किया जाता है। 2025 में यह पर्व आज यानी 21 फरवरी को मनाया जा रहा है।
जानकी जयंती पर विशेष व्रत कथा पढ़ने का महत्व है, क्योंकि यह कथा जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने का आशीर्वाद देती है। व्रत कथा में बताया जाता है कि सीता माता ने सत्य, धर्म और नैतिकता का पालन किया। उनके जीवन के आदर्शों को अपनाने से व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार की समृद्धि और शांति आती है। इस व्रत कथा का पाठ करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली का वातावरण बनता है।
व्रत कथा का महत्व
जानकी जयंती पर व्रत कथा का पाठ करना विशेष फलदायक माना जाता है। इस दिन माता सीता के जन्म की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी तरह के दुख दूर होते हैं। साथ ही, यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाएं करती हैं, क्योंकि माना जाता है कि इससे उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
यह कथा मुख्य रूप से माता सीता के आदर्शों, उनके त्याग, तपस्या और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। सीता माता ने हर संकट का सामना किया, लेकिन कभी भी सत्य से विचलित नहीं हुईं। उनका जीवन समर्पण और धैर्य का प्रतीक था। इस व्रत कथा को पढ़ने से व्यक्ति को भी जीवन में कठिनाईयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
कैसे करें पूजा और व्रत कथा का पाठ
जानकी जयंती के दिन सुबह उबटन, स्नान आदि कर शुद्ध होकर पूजा करें। घर में सफाई करें और फिर माता सीता की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक लगाकर उनकी पूजा करें। पूजा में सफेद फूल, चावल, शहद और बेलपत्र चढ़ाएं। फिर व्रत कथा का पाठ करें और माता सीता से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
यह पूजा खासतौर पर महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे करने से अखंड सौभाग्य और संतानों का सुख मिलता है। साथ ही, इस दिन का व्रत पालन करने से गृहस्थ जीवन में समृद्धि आती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।