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सीरिया से यूरोप लौटने को बेताब 'जिहादी दुल्हनें'... क्या ISIS की राख से फिर उठेगा यूरोप में आतंक का धुआं?

ISIS की बरबादी के बाद बदली हालात, जिहादी दुल्हनों की घर वापसी की मांग से ब्रिटेन में खतरे की घंटी तेज।

Ravi Rohan
  • Apr 9 2025 5:08PM

एक समय था जब साल 2014 में सीरिया में आतंक का चेहरा बन चुके ISIS ने दुनियाभर से युवाओं को अपने संगठन में शामिल कर लिया था। इस दौरान यूरोप की युवतियां भी इनके निशाने पर थीं, जिन्हें 'जिहादी दुल्हन' के नाम से जाना गया। ये महिलाएं संगठन के प्रचार का चेहरा बनीं और उन्हें इस्लामी राष्ट्र के निर्माण का सपना दिखाकर भर्ती किया गया।

पर अब जब ISIS का साम्राज्य खत्म हो चुका है, इन महिलाओं के लिए हालात पूरी तरह बदल गए हैं। इनमें से कई महिलाएं, जिनके पति या तो युद्ध में मारे जा चुके हैं या उन्हें छोड़ गए हैं, अब अपने वतन लौटने की राह देख रही हैं। कुछ तो मदद की गुहार भी लगा रही हैं ताकि वे इस खतरनाक जीवन से बाहर निकल सकें।

ब्रिटेन की नागरिकता गंवाने के बाद वापसी की उम्मीद

ऐसी ही एक महिला, जिसने 2014 में ISIS का दामन थामा था, 2017 में ब्रिटेन की नागरिकता से वंचित कर दी गई थी। अब एक अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया है, जिससे उसके ब्रिटेन लौटने की संभावना बढ़ गई है। अदालत ने उसके खराब स्वास्थ्य और सीरिया में जन्मे उसके ब्रिटिश बच्चे का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया है।

वहीं, शमीमा बेगम नाम की महिला, जो 2019 में दिमागी चोट के बाद सीरिया के एक शिविर में शरण लिए हुए है, फिलहाल अन्य ब्रिटिश महिलाओं के साथ वहीं फंसी हुई है। हालांकि, इस अदालत के फैसले पर आलोचना भी हो रही है और कुछ विशेषज्ञ इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं। गृह मंत्रालय ने इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

ISIS में महिलाओं की भूमिका: प्रचार से परछाई तक

ISIS ने महिलाओं को इस वादे के साथ संगठन में शामिल किया था कि वे जिहाद का हिस्सा बनेंगी और इस्लामी राज्य के निर्माण में योगदान देंगी। लेकिन, वास्तविकता में इन महिलाओं को घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित कर दिया गया — जैसे खाना पकाना, सफाई करना और बच्चों की परवरिश। विशेषज्ञों का मानना है कि ये महिलाएं वास्तव में संगठन के भीतर विवाह संकट का समाधान थीं, न कि कोई निर्णायक भूमिका निभाने वाली सैनिक।

सीरिया में बदलता परिदृश्य: ISIS का सफाया और नई चुनौतियां

सीरिया में असद सरकार और उसके समर्थकों ने जब ISIS के खिलाफ निर्णायक बढ़त बना ली, तो अल-शरा के HTS (हयात तहरीर अल-शाम) जैसे संगठनों ने भी ISIS के बचे-खुचे ठिकानों पर कब्जा कर लिया। ISIS का प्रभाव खत्म होते ही, इन जिहादी दुल्हनों के पास अब न ठिकाना बचा है, न भविष्य की कोई उम्मीद। मजबूर होकर ये महिलाएं अब अपने देश लौटने की कोशिश कर रही हैं, ताकि वे फिर से सामान्य जीवन की ओर बढ़ सकें।

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