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राजेश कुमार सेठी ने मणिपुर संकट पर सरकार की निष्क्रियता पर उठाए सवाल, राष्ट्रपति शासन में देरी को बताया धोखा

राजेश कुमार सेठी ने मणिपुर संकट पर सरकार से जवाबदेही की मांग की है।

Rashmi Singh
  • Feb 19 2025 5:39PM

राष्ट्रीय समन्वयक और मणिपुर प्रभारी राजेश कुमार सेठी ने मणिपुर में चल रहे मानवतावादी संकट की निंदा करते हुए इसे सरकार की पूरी नाकामी, राजनीतिक स्वार्थ और हर स्तर पर शासन की विफलता बताया। उन्होंने राष्ट्रपति शासन लागू करने में देरी को न केवल राजनीतिक गलती बल्कि मणिपुर की जनता के साथ धोखा करार दिया।

केंद्रीय सरकार की मंशा और तत्परता पर सवाल

सेठी ने केंद्रीय सरकार की मंशा और उसकी तत्परता पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब मणिपुर महीनों तक जल रहा था, तब केंद्रीय नेतृत्व कहां था? कितनी जिंदगियां गंवानी पड़ीं, कितने घर उजड़े, कितना विश्वास टूटने के बाद सत्ता में बैठे किसी व्यक्ति ने जिम्मेदारी ली? केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इस सवाल का जवाब देना होगा। जब यह स्पष्ट था कि राज्य सरकार, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में, पूरी तरह से नियंत्रण खो चुकी थी, तो तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई?”

केंद्र सरकार की जिम्मेदारी को ठहराया

सेठी ने कहा कि इस संकट के लिए केंद्रीय सरकार ही जिम्मेदार है, जिसने राजनीतिक लाभ को मानव जीवन से अधिक महत्व दिया। उन्होंने आरोप लगाया, "अयोग्य राज्य नेतृत्व को हटाने की बजाय, केंद्र ने मणिपुर के हालात पर ठंडी उदासीनता दिखाई और बेकार आश्वासन दिए जबकि मणिपुर रक्तरंजित हो रहा था। यह केवल निर्णय की चूक नहीं, बल्कि उच्चतम स्तर पर कर्तव्यों की पूरी तरह से उपेक्षा है।"

संविधानिक तंत्र के ढहने की चेतावनी

सेठी ने आगे कहा, “यह कोई साधारण कानून-व्यवस्था का मामला नहीं है; यह संविधानिक तंत्र का पूरी तरह से पतन है। अगर गृहमंत्री राज्य के नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर सकते, तो उन्हें अपने पद पर बने रहने का क्या हक है?”

अमित शाह से इस्तीफा की मांग

उन्होंने तत्काल जवाबदेही की मांग करते हुए गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफा देने की अपील की। सेठी ने कहा, “मणिपुर में जो हुआ, वह रोका जा सकता था, लेकिन सत्ता में बैठे लोगों ने राजनीति को प्राथमिकता दी। राष्ट्रपति शासन लागू करने में देरी को माफ किया नहीं जा सकता। अब समय आ गया है कि जिम्मेदारी तय की जाए, शुरुआत शीर्ष से होनी चाहिए! भारत की जनता ऐसे नेताओं की हकदार है जो जवाबदेह हों, न कि वे जो प्रेस कॉन्फ्रेंस और स्क्रिप्टेड भाषणों के पीछे छिपते हुए देश जलने देते हैं। अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि उन्होंने कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने में नाकाम रहे और जब सबसे ज्यादा जरूरत थी तब अपनी निष्क्रियता से समुदाय को विभाजित किया।”

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