सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को आर्थिक सहयोग करे

Donation

22 दिसम्बर को लखनऊ में होगी विशाल बिजली पंचायत, ऊर्जा मंत्री की गलत बयानी का उठेगा मुद्दा

लखनऊ में होने वाली बिजली पंचायत में देश के सभी बिजली कर्मचारी महासंघों और ऑल इण्डिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन एवं ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महामंत्री सम्मिलित होंगे।

Rajat Mishra
  • Dec 20 2024 7:15PM

इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ

 
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने ऊर्जा निगमों के घाटे को लेकर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा दिये गये बयानों को भ्रामक बताते हुए कहा कि ऊर्जा मंत्री घाटे को लेकर विरोधाभाषी बयान दे रहे हैं। संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि ऊर्जा निगमों के किसी भी श्रम संघ ने निजीकरण का समर्थन नहीं किया है। इस सम्बन्ध में ऊर्जा मंत्री गलत बयानी कर रहे हैं। संघर्ष समिति के आह्वान पर निजीकरण के विरोध में आगामी 22 दिसम्बर को लखनऊ में विशाल बिजली पंचायत का आयोजन किया गया है। 
 
लखनऊ में होने वाली बिजली पंचायत में देश के सभी बिजली कर्मचारी महासंघों और ऑल इण्डिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन एवं ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महामंत्री सम्मिलित होंगे। इस बिजली पंचायत में प्रदेश के समस्त जनपदों एवं परियोजनाओं से बड़ी संख्या में बिजली कर्मी संविदा कर्मी और अभियन्ता सम्मिलित होंगे। पंचायत में उपभोक्ता संगठनों और किसानों का भी प्रतिनिधित्व होगा। बिजली पंचायत में निजीकरण के विरोध में संघर्ष के अगले कदमों की घोषणा की जायेगी। 
 
ऊर्जा मंत्री द्वारा विद्युत वितरण निगमों में घाटे के दिये गये आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 में वितरण निगमों की एटीएण्डसी हानियां 41 प्रतिशत थीं। 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद 2021-22 में एटीएण्डसी हानियां घट कर 27.23 प्रतिशत रह गयी थीं। वर्ष 2023-24 में एटीएण्डसी हानियां 17 प्रतिशत हो गयी हैं। इस प्रकार 7 वर्षों में एटीएण्डसी हानियांं में 24 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आयी है। इसके विपरीत ऊर्जा मंत्री घाटे के बड़े-बड़े भ्रामक आकड़े देकर निजीकरण की दुहाई दे रहे हैं। जबकि निजीकरण के कारण आगरा में पॉवर कारपोरेशन को टोरेंट कम्पनी को बिजली देने में ही 2434 करोड़ रूपये का नुकसान हो चुका है और आगरा जैसे औद्योगिक और व्यवसायिक शहर से होने वाले राजस्व की हानि 5 हजार करोड़ रूपये से अधिक की है।
 
पॉवर कारपोरेशन द्वारा मंहगी दरों पर बिजली खरीद कर टोरेंट पॉवर कम्पनी को सस्ती दरों पर बिजली देने के निजीकरण का मॉडल देशभर में उपहास का विषय बना हुआ है। पता नहीं किस कारण से ऊर्जा मंत्री इस निजीकरण के मॉडल की प्रशंसा करते थक नहीं रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के यह दोनों मॉडल पूरी तरह से विफल हो चुके हैं जिन्हें उप्र के 42 जिलों में जबरिया थोपा जाना किसी प्रकार से स्वीकार नहीं किया जायेगा।

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

संबंधि‍त ख़बरें

ताजा समाचार