उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थित 250 साल पुराना गंगा महारानी मंदिर जिसे लेकर पिछले दो दिनों से विवाद चल रहा था, अब शांत हो गया है। चौकीदार वाजिद अली ने खुद स्वेच्छा से मंदिर परिसर को खाली करने का फैसला लिया, जिससे मामला सुलझ गया।
हालांकि, इस मंदिर की जमीन पर पिछले 40 सालों से वाजिद अली का परिवार कब्जा किए हुए था, जो हिन्दू संगठनों में रोष का कारण बन चुका था। प्रशासन इस विवाद को सुलझाने के लिए हर कदम उठा रहा था, और अंततः शांति से समाधान निकला।
कब्जे का मामला और प्रशासन की जांच
बरेली के किला थाना क्षेत्र के बाकरगंज में स्थित गंगा महारानी के मंदिर पर वाजिद अली ने फर्जी तौर पर साधन सहकारी समिति का बोर्ड लगाकर कब्जा कर लिया था। इसके बाद मंदिर की मूर्तियों और शिवलिंग को भी हटा दिया गया था। जब इस मामले की जानकारी प्रशासन को हुई, तो उन्होंने जांच शुरू की। प्रशासन ने वाजिद अली से सवाल किया कि वह मंदिर परिसर के दो कमरों को अपना घर कैसे बना सकता है, लेकिन वाजिद इस सवाल का कोई सटीक जवाब नहीं दे सका। सरकारी रिकार्ड के अनुसार, वाजिद नाम का कोई कर्मचारी कभी भी तैनात नहीं था। इसके बाद प्रशासन ने वाजिद को सात दिनों के भीतर भवन खाली करने का आदेश दिया।
स्वामित्व के दस्तावेज और प्रशासन की कार्रवाइयां
मंदिर की जमीन पर कब्जे को लेकर राकेश सिंह ने दावा किया कि यह मंदिर उनके पूर्वजों द्वारा बनवाया गया था और 1905 में गंगा महारानी ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्री भी कराई गई थी। राकेश सिंह ने प्रशासन को इसके प्रमाण भी दिखाए। वहीं, प्रशासन ने यह भी पुष्टि की कि कटघर के भवन में सहकारी समिति का कोई कार्यालय या गोदाम नहीं है, और वाजिद अली के पास कब्जे के कोई वैध प्रमाण नहीं थे। प्रशासन ने इसे अवैध कब्जा मानते हुए वाजिद अली से जल्द ही जगह खाली करने को कहा।
पुलिस प्रशासन की स्थिति
एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि वाजिद अली ने स्वेच्छा से मंदिर परिसर से कब्जा हटा लिया है और पुलिस प्रशासन स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रित कर रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब कानून व्यवस्था में कोई समस्या नहीं है और मंदिर की जमीन पर कब्जा मुक्त हो गया है।