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Mahakumbh 2025: संगम में पावन स्नान का सिलसिला जारी, 27 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान

महाकुंभ में 27 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई है।

Deepika Gupta
  • Jan 30 2025 11:27AM

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 ने एक बार फिर आस्था और विश्वास के प्रतीक के रूप में दुनिया भर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। संगम के पवित्र तट पर यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन चुका है। अब तक महाकुंभ में 27 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई है, जो इस महाकुंभ के ऐतिहासिक महत्व है।

संगम में श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान

बता दें कि यह आयोजन हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है। इस बार के महाकुंभ में प्रयागराज के संगम तट पर विशेष तैयारियां की गई हैं, ताकि बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा, चिकित्सा, जल आपूर्ति और परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

संगम में स्नान के दौरान श्रद्धालुओं का मानना है कि इस पवित्र स्नान से उनके सभी पाप धुल जाते हैं और वे मोक्ष की प्राप्ति के पात्र बन जाते हैं। यह धार्मिक आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ एक अत्यंत महत्वपूर्ण कर्म है। इसी कारण, हर साल लाखों लोग दूर-दूर से महाकुंभ में भाग लेने आते हैं और संगम में पवित्र स्नान करते हैं।

महाकुंभ में विभिन्न हिस्सों से आ रहे हैं लोग 

महाकुंभ के इस आयोजन में न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों से लोग आ रहे हैं, बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु इस दिव्य अवसर का हिस्सा बनने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं। हर दिन नए रिकॉर्ड बन रहे हैं, जब लाखों लोग एक साथ संगम में स्नान करने पहुंचते हैं। प्रशासन और धार्मिक संगठनों की संयुक्त कोशिशों से महाकुंभ के आयोजन को एक ऐतिहासिक सफलता बना दिया गया है।

महाकुंभ 2025 में समय-समय पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और प्रवचन भी आयोजित किए जा रहे हैं, जो श्रद्धालुओं के आध्यात्मिक अनुभव को और भी गहरा कर रहे हैं। इन कार्यक्रमों में संत-महात्माओं, धर्मगुरुओं और तपस्वियों के उपदेशों का भी विशेष महत्व है।

इस महाकुंभ के माध्यम से भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं का महत्व भी पूरी दुनिया में फैल रहा है। संगम का यह पवित्र मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक मेलजोल का भी एक अहम उदाहरण पेश करता है।

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