गणतंत्र दिवस की संध्या को वाघा-अटारी बॉर्डर पर आयोजित बीटिंग रिट्रीट समारोह ने एक बार फिर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर BSF के जवानों ने अपनी जोश से भरी परेड से सबको आकर्षित किया और देशभक्ति का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। खास बात यह थी कि इस बार समारोह में पहली बार बिगुल की धुन भी सुनाई दी, जो इस कार्यक्रम में एक नया जोश लेकर आई।
BSF जवानों की शक्ति और अनुशासन
पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित वाघा-अटारी बॉर्डर पर आयोजित इस कार्यक्रम में बीएसएफ के जवानों ने अपनी ताकत और अनुशासन से दर्शकों का दिल जीत लिया। इन जवानों के कदमों की आवाज इतनी गहरी और प्रभावशाली थी कि आसमान गूंज उठा। उनकी जोश से भरी परेड ने पूरे माहौल में देशभक्ति का उल्लास भर दिया।
देशभक्ति का अद्भुत संगम
इस समारोह में BSF के जवानों की परेड और उनके जोशीले नारों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' के उद्घोष से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। वहां मौजूद स्थानीय लोग और पर्यटक इस समृद्ध आयोजन से मंत्रमुग्ध थे। बच्चों से लेकर युवाओं तक, सभी ने उत्साह से इस कार्यक्रम में भाग लिया और जवानों की वीरता की सराहना की।
बीटिंग रिट्रीट की ऐतिहासिक शुरुआत
वाघा-अटारी बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह की शुरुआत 1959 में हुई थी, और तब से यह एक महत्वपूर्ण परंपरा बन चुका है। इस कार्यक्रम के दौरान सीमा पर तैनात जवानों की वीरता, अनुशासन और देशभक्ति का प्रदर्शन देखने के लिए भारी संख्या में दर्शक जुटते हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में लोग इस उत्सव का हिस्सा बने और बीएसएफ के जवानों के साहस को सलाम किया।
गणतंत्र दिवस की विशेषता
बीटिंग रिट्रीट समारोह के पहले, अटारी-वाघा बॉर्डर पर गणतंत्र दिवस समारोह भी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सैन्य कुत्तों ने भी हिस्सा लिया, जो कार्यक्रम में एक और खास आकर्षण थे।