वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने स्वीकार कर लिया। अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अंतरिम आदेश देने की बात कही और साफ निर्देश दिए कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी और वक्फ संपत्तियों की वर्तमान स्थिति बनी रहेगी।
कोर्ट ने दिए तीन अहम निर्देश
वक्फ संपत्ति की यथास्थिति:
जिन संपत्तियों को वक्फ घोषित किया है, चाहे वे वक्फ के उपयोग से जुड़ी हों या अधिसूचना के तहत घोषित की गई हों, उन्हें अगले आदेश तक वक्फ ही माना जाएगा। इन्हें डी-नोटिफाई नहीं किया जाएगा।
कलेक्टर की भूमिका:
कलेक्टर अपनी कार्यवाही तो जारी रख सकते हैं, लेकिन कुछ प्रावधान लागू नहीं होंगे। किसी प्रकार की जटिलता या संदेह की स्थिति में कलेक्टर अदालत से मार्गदर्शन ले सकते हैं।
वक्फ बोर्ड और काउंसिल का गठन:
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड में ex officio सदस्य किसी भी धर्म के हो सकते हैं, लेकिन अन्य सभी सदस्य मुस्लिम ही होंगे। यह प्रावधान वक्फ बोर्ड की धार्मिक संरचना को बरकरार रखने के लिए आवश्यक माना गया।
केंद्र की दलीलें और कोर्ट से अनुरोध
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ अधिनियम केवल किसी एक सेक्शन को देखकर नहीं समझा जा सकता, इसके लिए पूरे कानून और इसके ऐतिहासिक संदर्भों को देखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि यह कानून लाखों सुझावों के आधार पर तैयार हुआ है और अगर कोर्ट कोई अंतरिम आदेश जारी करता है, तो इसका देशभर में गहरा असर पड़ेगा।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि इस दौरान वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा और न ही नई नियुक्तियाँ की जाएंगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दिग्गज वकील मौजूद
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन, सी. यू. सिंह, हुज़ेफ़ा अहमदी, संजय हेगड़े और शादान फ़रासात जैसे जाने-माने वकील पेश हुए। वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और रंजीत कुमार उपस्थित रहे।
राज्य सरकारें भी पक्ष में, हस्तक्षेप याचिकाएं दायर
कुछ राज्य सरकारों ने भी वक्फ अधिनियम का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिकाएं दाखिल की हैं। बुधवार को जब कोर्ट ने अंतरिम आदेश का मसौदा तैयार करना शुरू किया था, तब कुछ राज्यों और केंद्र ने अपनी बात रखने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए सुनवाई गुरुवार तक स्थगित कर दी थी।
5 मई को अगली सुनवाई
अब यह मामला 5 मई को दोबारा सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए पेश होगा। तब तक वक्फ संपत्ति और बोर्ड के संचालन में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।