इनपुट- रजत के. मिश्र, लखनऊ, twitter- rajatkmishra1
वात्सल्य ग्राम की संकल्पनाकर्ता एवं सनातन संस्कृति की ध्वजवाहक, राष्ट्र भक्ति, आध्यात्मिक चेतना और मानवतावादी सामाजिक प्रकल्पों की प्रेरणा स्रोत दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा को भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण सम्मान से विभूषित किए जाने की घोषणा के बाद दीदी मां का उत्तर प्रदेश में प्रथम सार्वजनिक अभिनंदन समारोह एवं त्रिदिवसीय श्री राम कथा का दीदी माँ द्वारा आख्यान का भव्य आयोजन अयोध्या मंडल के सुल्तानपुर जिले के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के. आर. इंटरनेशनल स्कूल, ढेमा, मोतिगरपुर, सुल्तानपुर’ में होगा।
इस आयोजन को के आर चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में विद्यालय के चेयरमैन के आर राय एवं निदेशक डॉ जीतेन्द्र कुमार शुक्ल के द्वारा किया जा रहा है। यह आयोजन केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं अपितु सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक ऐतिहासिक अवसर होगा, जिसमें देश एवं प्रदेश के प्रतिष्ठित संत, विद्वान, राजनेता एवं समाजसेवी की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।
बता दें कि साध्वी ऋतम्भरा; जिन्हें लोकप्रिय रूप से दीदी मां के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु है। साध्वी ऋतम्भरा भारत में महिलाओं और बच्चों के गांव वात्सल्य ग्राम की संस्थापक भी हैं। वात्सल्य ग्राम बेघर महिलाओं और अनाथ बच्चों का घर है जो प्रेमपूर्ण और सौम्य वातावरण प्रदान करने के लक्ष्य से एक साथ रखे जाते हैं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के प्रति भी काम किया है। इस प्रकार साध्वी ऋतम्भरा एक दीदी (एक बड़ी बहन) के साथ-साथ लोगों के लिए मां भी हैं। उनके मातृ स्नेह ने लाखों हृदयों को हुआ है। जैसा कि उनका मानना है कि हर आत्मा एक दिव्य सृजन है, यह अमीर हो या गरीब होसभी को ईश्वर प्रदत्त दिव्य मिशन को पूरा करना होगा। यह ज़रूरतमंद बच्चों की देखभाल करती है और मानती है कि वे ही हमारा भविष्य हैं और हमें उनकी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ समाज के लिए एक मजबूत आधार बनाने की जरूरत है। आमजन पर साध्वी ऋतम्भरा के वचनों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है और वह अपने ओजपूर्ण शब्दों के माध्यम से बहुत ही सुंदरता से भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के सार को प्रस्तुत करती हैं।
साध्वी ऋतम्भरा 'पूज्य आचार्य महा मंडलेश्वर युगपुरुष स्वामी परमानंदजी महाराज की प्रेरणा के तहत साध्वी बन गई। साध्वी ऋतम्भरा जी ने भारतीय शास्त्रों को सीखा और आध्यात्मिकता को गहराई से सोचा। उन्होंने मातृ छवि की भारत की असली भावना को उजागर करके मानवता की सेवा के लिए एक सामान्य घर के भौतिक सुखों को छोड़ दिया है। दीदी मां हर इसान के भीतर भगवान का एक जीवित साक्ष्य है। उनका जीवन भगवान की भक्ति और समाज की सेवा का एक उल्लेखनीय संयोजन है। उनका मानना है कि 'मानवता की सेवा भगवान की सेवा है और उन्होंने भारतीय समाज की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। साध्वी ऋतम्भरा जी बहुत नम्र हैं, फिर भी बहुत मजबूत हैं और लोगों के दुखों के कारणों को समझाने और उन्हें एक मा की तरह सहेजने का काम करती है। वह भारत में कई पर्यावरण और सामाजिक परिवर्तन लाने में भी सक्रिय रूप से शामिल रहीं हैं।
साध्वी ऋतम्भरा जी एक जीवंत और प्रभावशाली वक्ता भी है। जब लोग उनके प्रवचन सुनते हैं तो उन्हें धन्यवाद देते हैं कि उन्हें प्रबुद्ध होने का मौका मिला है। उसके शब्द तो सरल हैं लेकिन उनका प्रभाव अत्यंत गहरा है। वह कुछ ही क्षणों में उन्हें अपने परिवार के हिस्से की तरह महसूस करती हैं। वह एक शिक्षक और एक प्रेमपूर्ण दिशानिर्देशक हैं जो अपनी शिक्षाओं को शब्दों से नहीं बल्कि अपने आचरण के उदाहरण के माध्यम से प्रदान करती है। कई बार लोग उनके भाषणों को सुनते हैं और उनके जादू का अपने हृदय में गहरा असर महसूस करते है।
वात्सल्य ग्राम, परमशक्ति पीठ द्वारा संचालित एक अनाथालय है। यह साध्वी ऋतम्भरा (दीदी माँ) द्वारा स्थापित है। इसमें अनाथ बच्चों एवं परित्यक्त महिलाओं को आवास, भोजन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा का प्रबन्ध किया जाता है। इसका मूल मंत्र यह है कि परित्यक्त महिलाएँ एवं बच्चे एक दूसरे के पूरक होकर एक-दूसरे की भवनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति करें। समाज में दीदी माँ के नाम से ख्यात साध्वी ऋतम्भरा ने इस परिसर में ही भरे-पूरे परिवारों की कल्पना साकार की है।