दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली शराब नीति को लेकर CAG रिपोर्ट विधानसभा में पेश की है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति और शराब आपूर्ति से जुड़े नियमों में गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आबकारी विभाग की नीतियों और उनके क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी रही, जिसके कारण सरकार को ₹2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ।
आबकारी विभाग का कर राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान
दिल्ली सरकार के कुल कर राजस्व का लगभग 14% आबकारी विभाग से आता है। यह विभाग शराब और नशीले पदार्थों के व्यापार को नियंत्रित करता है, साथ ही शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी निभाता है। जीएसटी लागू होने के बाद, शराब पर उत्पाद शुल्क लागू रहा, जिससे विभाग का मुख्य राजस्व शराब की बिक्री से आता है।
क्यों हुआ नुकसान?
CAG रिपोर्ट में बताया गया कि शराब नीति में कई अनियमितताएं और लापरवाह फैसले लिए गए, जिससे दिल्ली सरकार को बड़ा नुकसान हुआ:
941.53 करोड़ का नुकसान: खुदरा शराब की दुकानों का न खुलना
890 करोड़ का घाटा: सरेंडर किए गए लाइसेंसों का पुन: नीलामी में विफल होना
144 करोड़ की छूट: कोविड-19 के दौरान शराब कारोबारियों को दी गई
27 करोड़ का नुकसान: शराब कारोबारियों से उचित सुरक्षा जमा राशि न लेना
शराब आपूर्ति प्रणाली में खामियां
शराब की आपूर्ति प्रणाली में कई पक्ष शामिल होते हैं, जैसे निर्माताओं, गोदामों, शराब की दुकानों, होटलों, क्लबों और रेस्तरां से होते हुए ग्राहकों तक। CAG रिपोर्ट में पाया गया कि शराब की आपूर्ति और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में विभाग की भूमिका कमजोर रही।
लाइसेंस जारी करने में उल्लंघन
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी करने के दौरान नियमों का उल्लंघन किया। दिल्ली आबकारी नियम 2010 के अनुसार, एक ही व्यक्ति या कंपनी को विभिन्न प्रकार के लाइसेंस नहीं दिए जा सकते थे, लेकिन कई कंपनियों को यह लाइसेंस दिए गए।
मनमाने ढंग से तय की गई शराब की कीमतें
आबकारी विभाग ने थोक विक्रेताओं को शराब की कीमतें तय करने की स्वतंत्रता दी, जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में हेरफेर किया गया और सरकार को नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनियों से लागत मूल्य की जांच नहीं की गई, जिससे मुनाफाखोरी और कर चोरी की संभावना बनी रही।
शराब की गुणवत्ता नियंत्रण में कमी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दिल्ली में बिकने वाली शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करना आबकारी विभाग की जिम्मेदारी थी, लेकिन कई लाइसेंस धारकों ने आवश्यक टेस्ट रिपोर्ट नहीं दी। 51% मामलों में विदेशी शराब की टेस्ट रिपोर्ट या तो एक साल पुरानी थी या उपलब्ध नहीं थी।
नई आबकारी नीति में खामियां
नई आबकारी नीति 2021-22 में भी कई खामियां पाई गई। सरकार ने निजी कंपनियों को थोक व्यापार का लाइसेंस देने का निर्णय लिया, जिससे सरकारी कंपनियों को बाहर कर दिया गया। इस नीति में महत्वपूर्ण बदलाव कैबिनेट की मंजूरी के बिना किए गए, जिससे सरकार को ₹2,002 करोड़ का नुकसान हुआ।
कैग ने दिए सुधार के सुझाव
कैग ने सरकार को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जैसे:
लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना
शराब की कीमतों का विश्लेषण कर मुनाफाखोरी रोकना
गुणवत्ता नियंत्रण को सख्त बनाना
शराब तस्करी रोकने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग
नई नीति में सुधार और वित्तीय नुकसान की जिम्मेदारी तय करना