रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) 27 फरवरी, 2025 से 1 मार्च 2025 के दौरान मानेकशॉ सेंटर, दिल्ली में अंतरिक्ष विकिरण, भारी आयनों और मानव अंतरिक्ष मिशनों के जैविक प्रभावों - तंत्र और जैव चिकित्सा प्रतिक्रिया उपायों पर अंतर्राष्ट्रीय रेडियो जीवविज्ञान सम्मेलन की मेजबानी कर रही है। मुख्य अतिथि, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने आज 27 फरवरी, 2025 को सम्मेलन का उद्घाटन किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी. कामत मुख्य अतिथि थे।
अपने उद्घाटन भाषण में, प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने INMAS को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए सराहा और कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण में सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक अंतरिक्ष विकिरण है, जो लंबी अवधि के अंतरिक्ष उड़ानों के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक बड़ा जोखिम उत्पन्न करता है। उन्होंने INMAS द्वारा इन चुनौतियों को हल करने के प्रयासों की सराहना की।
डॉ. समीर वी. कामत ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरिक्ष विकिरण से संबंधित चुनौतियाँ एक समग्र दृष्टिकोण की मांग करती हैं, जिसमें विभिन्न वैज्ञानिक अनुशासनों की विशेषज्ञता का समावेश हो। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन रेडियो बायोलॉजिस्ट, भौतिकशास्त्रियों, अभियंताओं और चिकित्सा शोधकर्ताओं के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक अनूठा और महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। इस प्रकार के अंतरविभागीय सहयोग से हम उन अभिनव प्रौद्योगिकियों और समाधानों को विकसित कर सकते हैं जो अंतरिक्ष के कठोर परिस्थितियों में अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा करने के लिए आवश्यक हैं।
डॉ. समीर वी. कामत ने यह भी कहा कि मानवता के लाभ के लिए बाहरी अंतरिक्ष की खोज करना आधुनिक समय में एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति और चंद्रमा पर मिशनों जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जो अंतरिक्ष में जीवन बनाए रखने की हमारी बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करते हैं। प्रभावी रणनीतियों और सुरक्षा उपायों को विकसित करके, देश यह सुनिश्चित करने में सक्षम होगा कि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित हो, जिससे मंगल और उससे आगे के लिए दीर्घकालिक मिशनों की सफलता की संभावना बनेगी।
तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान "अंतरिक्ष विकिरण के जैविक प्रभाव" थीम के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें प्रमुख विषय क्षेत्र हैं: एक्सपोजर/सेंसिटिविटी के बायोमार्कर्स, क्रोनिक प्रभाव/कैंसरजनन, संयुग्मित तनाव (माइक्रोग्रैविटी, संकुचन, सर्केडियन मिसअलाइनमेंट, पृथकता और अंतरिक्ष विकिरण), भारी आयनों के तीव्र और देर से/क्रोनिक प्रभाव, गणितीय मॉडलिंग और सिमुलेशन, चिकित्सा प्रतिकार उपाय, कोशिका और आणविक तंत्र, मांसपेशी और हड्डी हानि, degenerative बीमारियाँ/संज्ञानात्मक कार्य, भारी आयन विकिरण रसायनशास्त्र।