2025 महाकुंभ: 144 वर्षों बाद का दिव्य दुर्लभ संयोग को भ्रामक प्रचार कहने वालो को तथ्यों के साथ उत्तर
धर्मयोद्धा डॉक्टर सुरेश चव्हाणके जी द्वारा लिखित महाकुंभ लेखमाला
2025 महाकुंभ: 144 वर्षों बाद का दिव्य और दुर्लभ संयोग – भ्रामक प्रचार का खंडन
महाकुंभ लेखमाला – लेख क्रमांक 42
लेखक:
डॉ. सुरेश चव्हाणके (चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)
प्रस्तावना: 2025 महाकुंभ पर उठते सवाल और सत्य की खोज
2025 में प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ 144 वर्षों बाद आने वाला एक अत्यंत दुर्लभ संयोग लेकर आ रहा है। यह एक धार्मिक, खगोलीय और आध्यात्मिक रूप से अद्वितीय घटना होगी, जिसकी तुलना इतिहास में केवल 1881 के महाकुंभ से की जा सकती है।
लेकिन कुछ षड्यंत्रकारी तत्व इस ऐतिहासिक सत्य को झूठा बताने की कोशिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है कि “हर 12 साल में ही महाकुंभ होता है, तो 144 वर्षों बाद का संयोग कैसे संभव है?”
👉 क्या यह वास्तव में 144 वर्षों बाद होने वाला विशेष कुंभ है?
👉 क्या इसका आधार केवल ज्योतिष है, या यह धर्मशास्त्रों और खगोल विज्ञान में भी प्रमाणित है?
👉 क्यों कुछ लोग इस सच्चाई को झूठा बताने की साजिश रच रहे हैं?
इस लेख में हम तथ्यों के साथ सिद्ध करेंगे कि 2025 का महाकुंभ सिर्फ एक सामान्य कुंभ नहीं, बल्कि एक दुर्लभ और दिव्य संयोग है।
1. क्या हर कुंभ समान होता है? महाकुंभ और दुर्लभ संयोग का रहस्य
👉 कुंभ मेला प्रत्येक 12 वर्षों में होता है, जब बृहस्पति (गुरु) कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं और सूर्य मकर राशि में स्थित होते हैं।
👉 लेकिन हर 12वें कुंभ चक्र (12×12 = 144 वर्षों) में ग्रहों की विशेष युति बनती है, जिससे “महासंयोगी कुंभ” की उत्पत्ति होती है।
👉 इस महासंयोग के दौरान स्नान का पुण्य लाखों गुना अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
🔹 धर्मशास्त्रीय प्रमाण: स्कंद पुराण, ब्रह्मांड पुराण और वायुपुराण में उल्लेख है कि हर 144 वर्षों में एक बार ग्रहों का ऐसा अद्वितीय संयोग बनता है, जिससे कुंभ मेला एक अत्यंत पुण्यदायी घटना बन जाता है।
🔹 खगोल विज्ञान का समर्थन: खगोलीय गणनाएँ भी दर्शाती हैं कि इस बार 2025 के कुंभ में ग्रहों की स्थिति 1881 के कुंभ से बिल्कुल मेल खा रही है, जो इसे असाधारण बनाती है।
2. 2025 महाकुंभ की अद्वितीय खगोलीय गणना
(A) बृहस्पति (गुरु) का प्रभाव – कुंभ का आधार
✔ बृहस्पति कुंभ राशि में होंगे, जो कुंभ मेले के आयोजन का मुख्य कारण है।
✔ जब बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं, तब धार्मिक ऊर्जा अत्यधिक प्रबल होती है।
✔ 144 वर्षों बाद पहली बार गुरु (बृहस्पति) का अन्य ग्रहों से महासंयोग बन रहा है।
(B) सूर्य और शनि की दुर्लभ युति
✔ सूर्य मकर राशि में स्थित होंगे, जो मकर संक्रांति और कुंभ स्नान को विशेष महत्व देता है।
✔ शनि भी कुंभ राशि में होंगे, जिससे बृहस्पति और शनि का महासंयोग बनेगा।
✔ इस महासंयोग से तीर्थराज प्रयाग की आध्यात्मिक शक्ति हजार गुना बढ़ जाएगी।
(C) चंद्रमा और राहु-केतु की विशेष दशा
✔ पूर्णिमा और अमावस्या के समय चंद्रमा की स्थिति कुंभ स्थल पर विशेष ऊर्जा उत्पन्न करेगी।
✔ राहु-केतु का गोचर (वृश्चिक और वृषभ में) आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ होगा।
(D) मंगल और शुक्र की उच्च स्थिति
✔ मंगल मकर राशि में होंगे, जहाँ वे उच्चतम स्थिति में माने जाते हैं।
✔ शुक्र मीन राशि में होंगे, जो साधकों के लिए आध्यात्मिक उन्नति का सर्वोत्तम अवसर बनाएगा।
👉 यह सभी संयोग 144 वर्षों में पहली बार एक साथ बन रहे हैं, जो 2025 के कुंभ को असाधारण और दुर्लभ बना रहे हैं।
3. 2025 कुंभ और 1881 कुंभ की समानता – ऐतिहासिक प्रमाण
👉 पिछली बार ऐसा ही संयोग 1881 में बना था, जब:
✔ बृहस्पति कुंभ राशि में थे।
✔ सूर्य मकर राशि में था।
✔ शनि और बृहस्पति की युति हुई थी।
✔ तीर्थराज प्रयाग में एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा बनी थी।
👉 अब 144 वर्षों बाद, यह संयोग 2025 में दोबारा बन रहा है, जिससे यह कुंभ एक दिव्य और महाशक्तिशाली अवसर बन गया है।
4. झूठ और भ्रामक प्रचार का भंडाफोड़
🔹 षड्यंत्रकारी तत्व क्यों 2025 कुंभ की विशेषता को झूठा साबित करना चाहते हैं?
✔ कुछ वामपंथी और हिंदू विरोधी समूह सनातन धर्म की वैज्ञानिकता और दिव्यता पर प्रश्न उठाना चाहते हैं।
✔ वे चाहते हैं कि हिंदू समाज अपने धार्मिक अनुष्ठानों और ज्योतिषीय गणनाओं पर विश्वास न करे।
✔ पश्चिमी मीडिया और वामपंथी इतिहासकारों ने पहले भी कुंभ मेले को “अंधविश्वास” कहने की कोशिश की, लेकिन अब विज्ञान ने इसे प्रमाणित कर दिया है।
🔹 कैसे पहचाने भ्रामक प्रचार?
✔ जो लोग 2025 कुंभ को “सिर्फ एक सामान्य कुंभ” कह रहे हैं, वे या तो अज्ञानी हैं या जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं।
✔ यदि कोई यह कहे कि “हर कुंभ समान होता है,” तो उससे पूछें कि फिर 1881 में क्या विशेष हुआ था?
✔ सनातन धर्म में वैज्ञानिकता है, इसे चुनौती देना सत्य को नकारने के समान है।
5. 2025 कुंभ का विशेष आध्यात्मिक महत्व
✔ इस दुर्लभ ग्रह स्थिति के कारण कुंभ स्नान का पुण्य हजार गुना अधिक माना जाएगा।
✔ साधना, मंत्र सिद्धि, ध्यान और यज्ञ के लिए यह अवसर अत्यंत विशेष होगा।
✔ पूरे विश्व से हिंदू संत, महात्मा, नागा बाबा और भक्त इस दुर्लभ योग में स्नान के लिए आएंगे।
✔ सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति के वैश्विक उत्थान का यह महान अवसर होगा।
6. निष्कर्ष: 2025 महाकुंभ एक दुर्लभ संयोग क्यों है?
✔ यह 144 वर्षों बाद आ रहा है, क्योंकि इस समय ग्रहों की स्थिति 1881 के समान ही बन रही है।
✔ बृहस्पति (गुरु) और शनि की कुंभ राशि में दुर्लभ युति
✔ सूर्य का मकर राशि में गोचर और तीर्थराज प्रयाग की आध्यात्मिक ऊर्जा का बढ़ना
✔ चंद्रमा, राहु-केतु और शुक्र की विशेष स्थिति
✔ मंगल की उच्च स्थिति
👉 यह दुर्लभ संयोग 2025 के कुंभ को एक ऐतिहासिक, दिव्य और अत्यंत पुण्यदायी अवसर बनाता है।