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कुंभ और भविष्यवाणी: क्या आने वाले युगों की घटनाओं का संकेत है?

धर्म योद्धा डॉ सुरेश चव्हाणके जी द्वारा #महाकुंभ_लेखमाला

Dr. Suresh Chavhanke
  • Feb 24 2025 5:49AM


कुंभ और भविष्यवाणी: क्या आने वाले युगों की घटनाओं का संकेत है?


(महाकुंभ लेखमाला – विशेष विश्लेषण)


✍ डॉ. सुरेश चव्हाणके (चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)


🔹 पिछले पाँच कुंभ के बाद घटित घटनाएँ, इस बार क्या होगा ? 


1857: प्रयागराज कुंभ के ठीक दो वर्ष बाद 1857 का स्वतंत्रता संग्राम हुआ।

1945: हरिद्वार कुंभ के एक वर्ष बाद द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ।

2001: कुंभ के बाद 9/11 हमला हुआ, जिसने विश्व राजनीति को बदल दिया।

2013: महाकुंभ के बाद भारत में कई बड़े राजनीतिक बदलाव हुए।

2025: क्या इस बार कुछ अद्भुत घटित होने वाला है?


प्रस्तावना


कुंभ मेला केवल आध्यात्मिक और धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि इसे एक ब्रह्मांडीय संकेत भी माना जाता है।

कुछ ऋषियों और विद्वानों के अनुसार, कुंभ का प्रभाव केवल एक धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं, बल्कि यह समाज, राजनीति, अध्यात्म और विश्व व्यवस्था में परिवर्तन का भी सूचक है।


क्या यह संभव है कि कुंभ मेला विश्व की भविष्य की घटनाओं का संकेत देता हो?

क्या यह केवल एक संयोग है कि कुंभ के बाद बड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ घटी हैं?

क्या संतों, महर्षियों और ज्योतिषियों ने इस विषय में पहले से भविष्यवाणी की थी?


कई विद्वानों का मानना है कि कुंभ मेला एक युग परिवर्तनकारी घटना होती है, जो संसार के अगले चरण की सूचना देती है।


1. कुंभ मेला और ब्रह्मांडीय संयोग


कुंभ केवल पंचांगीय गणना का परिणाम नहीं, बल्कि ग्रहों की विशेष स्थिति और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संयोग से जुड़ा होता है।


(A) कुंभ की ज्योतिषीय गणना

प्रत्येक 12 वर्षों में गुरु (बृहस्पति) कुंभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मकर राशि में होता है।

हर 144 वर्षों में, एक विशिष्ट संयोग बनता है जिसमें गुरु, शनि और अन्य ग्रह दुर्लभ स्थिति में आते हैं।

हर 1,728 वर्षों में, महाकुंभ का एक ऐसा चक्र आता है जिसमें यह ऊर्जा अपने चरम पर होती है।


क्या यह ब्रह्मांडीय स्थिति केवल एक ज्योतिषीय संयोग है, या यह सच में पृथ्वी और मानवता को प्रभावित करती है?

क्या इस संयोग के प्रभाव से आने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है?


2. इतिहास में कुंभ और विश्व परिवर्तन की घटनाएँ


क्या कुंभ के दौरान या उसके तुरंत बाद ऐतिहासिक रूप से कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं?

आइए कुछ उदाहरण देखें:

1857 (प्रयागराज कुंभ) → 1857 का स्वतंत्रता संग्राम

प्रयागराज कुंभ के ठीक दो वर्ष बाद 1857 में भारत का पहला संगठित स्वतंत्रता संग्राम हुआ।

कुंभ के दौरान हिंदू संतों और नागा साधुओं ने अंग्रेजों के विरुद्ध एकजुट होने का संकल्प लिया।

1945 (हरिद्वार कुंभ) → द्वितीय विश्व युद्ध का अंत

1945 में हरिद्वार कुंभ के ठीक बाद द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ।

यह युद्ध जिसने पूरे विश्व की राजनीति और शक्ति संतुलन को बदल दिया।

2001 (प्रयागराज कुंभ) → 9/11 हमला और वैश्विक राजनीति में बदलाव

2001 के प्रयागराज कुंभ के बाद अमेरिका पर 9/11 का हमला हुआ, जिसने पूरी वैश्विक राजनीति को बदल दिया।

2013 (महाकुंभ) → भारतीय राजनीति में बड़ा परिवर्तन

इस कुंभ के बाद भारत की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया और हिंदुत्व की एक नई लहर उठी।

2025 कुंभ: क्या एक नया विश्व युग आरंभ होने वाला है?

इस कुंभ में 144 वर्षों बाद ऐसी ग्रह स्थिति बन रही है जो ऐतिहासिक परिवर्तन का संकेत देती है।

क्या यह हिंदू जागरण, भारत के वैश्विक नेतृत्व, और सनातन धर्म के पुनरुत्थान का संकेत है?


3. भविष्यवाणियाँ और ग्रंथों में कुंभ का उल्लेख


कई ऋषियों, संतों और भविष्यवक्ताओं ने कुंभ और युग परिवर्तन के संबंध में उल्लेख किया है।

महर्षि वेदव्यास (महाभारत)

वेदव्यास ने संकेत दिया था कि जब कुंभ मेले में असाधारण संख्या में साधु और संत एकत्रित होंगे, तो धर्म की पुनर्स्थापना का समय निकट होगा।

गोरखनाथ जी (नाथ संप्रदाय)

गोरखनाथ जी ने भविष्यवाणी की थी कि एक विशेष कुंभ के बाद भारत का पुनर्जागरण होगा और संन्यासियों की शक्ति पुनः स्थापित होगी।

संस्कृत ग्रंथ ‘कालचक्र तंत्र’

यह ग्रंथ कहता है कि कुंभ एक ऐसा आयोजन है, जिसके दौरान ईश्वरीय चेतना जागृत होती है और आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करती है।

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी

पश्चिमी भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने लिखा कि “पूर्व का एक महान पर्व एक नए युग का संकेत देगा, और यह धर्म की पुनर्स्थापना का केंद्र बनेगा।”

तिब्बती भविष्यवाणियाँ

तिब्बती बौद्ध ग्रंथों में कहा गया है कि कुंभ एक ऐसा समय होता है जब लोकों के द्वार खुलते हैं और दिव्य शक्तियाँ धरती पर उतरती हैं।


4. क्या 2025 कुंभ एक नए युग की शुरुआत है?


2025 का कुंभ केवल एक मेला नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय परिवर्तन की एक घटना माना जा रहा है।

ग्रहों की दुर्लभ स्थिति

144 वर्षों बाद बृहस्पति और शनि का महासंयोग

मंगल, शुक्र और सूर्य की दुर्लभ युति

राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन

क्या यह हिंदू पुनर्जागरण का संकेत है?

क्या भारत फिर से विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है?

आध्यात्मिक भविष्यवाणी

कुंभ के बाद दुनिया में आध्यात्मिकता की नई लहर उठेगी।

धर्म, विज्ञान और अध्यात्म एक नई दिशा में जाएंगे।


5. निष्कर्ष: कुंभ केवल एक स्नान नहीं, बल्कि भविष्य की झलक है


कुंभ केवल एक तीर्थ यात्रा नहीं, बल्कि यह भविष्य की घटनाओं का संकेत देने वाला आयोजन है।

जब-जब कुंभ का आयोजन हुआ, तब-तब दुनिया में बड़े परिवर्तन हुए।

2025 का कुंभ एक नया अध्याय लिखने वाला है – क्या यह नवयुग की शुरुआत है?


तो क्या यह केवल संयोग है, या फिर ब्रह्मांड का संकेत?


🔴 विचार करें: क्या यह महाकुंभ विश्व में एक नया अध्याय लिखेगा?

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