16 अप्रैल 2025 का दिन भारत के धर्मसंघर्ष के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। वो योद्धा, जिसने उड़ीसा में आदिवासी क्षेत्रों में हो रहे ईसाई धर्मांतरण के विरुद्ध पहली आवाज़ उठाई, वह वीर सेनानी महेंद्र हेम्ब्रम जी आज 26 वर्षों बाद केओनझार जेल से ससम्मान रिहा हो गए। उनकी आवाज उठाने का साहस पूरे देश में केवल सुदर्शन न्यूज़ ने दिखाया।
लगभग 26 वर्ष पहले की बात है। ग्राहम स्टेंस का नाम एक विदेशी पादरी ओडिशा में सत्य सनातन का शत्रु बन कर उतरा था। वह शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों मे ताबड़तोड़ ईसाईयत का प्रचार करने लगा। गाँव के गाँव ईसाई होने लगे। तभी 1999 में मनोहरपुर गांव में भीड़ ने उसे मार डाला। कांग्रेस की सरकार थी। माना जा रहा था कि हिंदुओं पर ही ठीकरा फूटेगा। और वही हुआ। दारा सिंह और महेंद्र हेम्ब्रम को जेल में डाला गया और उम्रकैद की सजा हुई। इन दोनों से सभी ने किनारा कर लिया । लेकिन अगर कोई दोनों के परिजनों संग खड़ा था तो वो डॉ सुरेश चव्हाणके जी के नेतृत्व मे सुदर्शन न्यूज। हम संघर्ष करते और और उसका असर 16 अप्रैल 2025 को सामने आया।
जी हाँ, हमारे हर दिन के अनवरत संघर्ष ने आखिरकार असर दिखाया है। 26 वर्षों के बाद ओडिशा की क्योंझर जेल से महेंद्र हेम्ब्रम रिहा हो रहे हैं। इन 26 वर्षों मे पहले तो डॉ सुरेश चव्हाणके जी ने अपनी निजी जीवन में हर मंच से ओडिशा की घटना को धर्म परिवर्तन की साजिश के खिलाफ उठा जनाक्रोश बताया। बाद मे सुदर्शन न्यूज की नींव डालते ही इसके माध्यम से महेंद्र हेम्ब्रम, दारा सिंह व जेलों मे बंद अन्य वीरों की आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी। आखिरकार हमारी आवाज सत्ता और जनता तक पहुँची और परिणाम सुखद रहे।
कौन था ग्राहम स्टेन्स?
ग्रैहम स्टेन्स- एक विदेशी मिशनरी, जो भारत की पवित्र भूमि पर आकर गरीब, भोले-भाले जनजाति लोगों (आदिवासियों) को लालच, छल और प्रलोभन के ज़रिए ईसाई बनाने में लगा हुआ था। हिंदू संस्कृति पर हो रहे इस सुनियोजित हमले के खिलाफ जब सरकारें मौन थीं, तब महेंद्र हेम्ब्रम और दारा सिंह जैसे धर्मयोद्धाओं ने मोर्चा संभाला।
सुदर्शन न्यूज़ ने उठाई सच्चाई की मशाल
जब पूरी मीडिया चुप थी, जब तथाकथित सेक्युलर पत्रकार ‘मानवता’ के नाम पर केवल एक पक्ष दिखा रहे थे- तब सुदर्शन न्यूज़ ने धर्म की बात की। हमने सवाल उठाया:
-क्या धर्मांतरण रोकना अपराध है?
-क्या विदेशी ताकतों के खिलाफ खड़े होना राष्ट्रविरोध है?
-क्या हिंदू धर्म की रक्षा करने वालों का पक्ष दुनिया को नहीं दिखाना चाहिए ?