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13 मार्च : पुण्यतिथि 'महाराष्ट्र के चाणक्य' नाना फडणवीस जी... जिनकी कूटनीति से खौफ खाते थे निज़ाम, टीपू और मुगल

आज नाना फडणवीस जी को पुण्यतिथि पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.

Ravi Rohan/Sumant Kashyap
  • Mar 13 2025 6:45AM

हमारे देश में ऐसे अनेकों महान महापुरुषों ने जन्म लिया है, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गया है. हमारे देश में रह कर भी कई ऐसे लोग थे जिन्होंने भारत के इतिहास से इन लोगों को मिटाने की कई कोशिशें की. इन लोगों ने उन सभी क्रांतिकारियों और महापुरुषों के नाम को छिपाने और सदा के लिए मिटाने की कोशिश की. उन लाखों महान क्रांतिकारियों में से एक थे नाना फडणवीस जी. वहीं, आज नाना फडणवीस जी को पुण्यतिथि पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.

नाना फडणवीस जी का जन्म 1742 में 12 फरवरी को हुआ था. उनसे पहले हम इटली के निकोलो मैकियावेली के बारे में जानते हैं, जिन्हें आधुनिक राजनीतिक विज्ञान का जनक कहा जाता है. 15वीं-16वीं शताब्दी में जब यूरोप मध्यकाल से आधुनिक युग में घुस रहा था, तब मैकियावेली उस दौर के सबसे बड़े कूटनीतिज्ञ बन कर उभरे. फ्लोरेंस में जन्मे निकोलो से ही नाना फडणवीस जी की तुलना विदेशियों ने की.

बालाजी जनार्दन भानु जी, जिन्हें आगे चल कर नाना फडणवीस जी कहा गया था. वो एक चितपावन ब्राह्मण थे. बता दें कि गांधी की हत्या के बाद महाराष्ट्र में उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में चितपावन ब्राह्मणों का नरसंहार किया था. भीड़ ने वीर विनायक दामोदर जी के भाई नारायण सावरकर जी की भी हत्या कर दी थी. वो भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे. बालाजी का जन्म सतारा में हुआ था. पेशवा बालाजी विश्वनाथ भट्ट और भानु के परिवार का अच्छा रिश्ता था.

बालाजी महादजी, जो कि फडणवीस के नाना थे, उन्होंने मुगलों की एक साजिश से पेशवा जी की जान बचाई थी. बता दें कि पेशवा जी जब मराठा साम्राज्य के सर्वेसर्वा बन गए, तब फडणवीस जी उनके खासमखास हो गए और सरकार में धमक रखने लगे. पेशवा जी ने नाना फडणवीस जी के लिए भी शिक्षा-दीक्षा की वही व्यवस्था की थी, जो उन्होंने अपने बेटों विश्वास राव, माधव राव और नारायण राव के लिए की थी. नाना फडणवीस जी पानीपत के तीसरे युद्ध में बच कर निकल गए थे.

उस युद्ध में दुर्रानी ने मुगलों व अन्य इस्लामी ताकतों के बल पर मराठा साम्राज्य को बड़ा नुकसान पहुंचाया था, जिससे कुछ वर्षों के लिए उनका विजय रथ रुक गया था. नाना फडणवीस जी ने इसके बाद मराठाओं को आगे बढ़ने में मदद की और ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के बढ़ते प्रभाव के बीच अपनी कूटनीति से साम्राज्य को मजबूत किया. उन्होंने अंग्रेजों, मैसूर के टीपू सुल्तान और हैदराबाद के निजाम के खिलाफ युद्ध में रणनीति बनाई और उन्हें परास्त किया.

वहीं, आज नाना फडणवीस जी को पुण्यतिथि पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.

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