सनतानियों के पर्व पर केवल हिन्दुस्थान में ही तथाकथित शांतिप्रिय समुदाय को तकलीफ सताने लगती है, बल्कि पड़ोसी हिन्दू बहुल राष्ट्र नेपाल में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं। नेपाल के बीरगंज में हनुमान जयंती के दिन सनातन संस्कृति पर खुलेआम हमला कर दिया गया।
भारत-नेपाल सीमा से सटे बीरगंज में जैसे ही शोभायात्रा निकली, वैसे ही कट्टरपंथियों ने छतों से ईंट-पत्थर बरसाकर माहौल को जंग का मैदान बना डाला। कुछ ही पलों में भीड़ उग्र हो उठी और देखते ही देखते दुकानों में आग लगा दी गई, बाइकें फूंक दी गईं और पूरे इलाके में भगदड़ मच गई।
हिंसा की आग में झुलसा बीरगंज, 50 से ज्यादा घायल!
शनिवार (12 अप्रैल 2025) को हुए बर्बर हमले में महिलाओं, बच्चों और राहगीरों तक को नहीं बख्शा गया। करीब 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। दंगाइयों ने ऐसी तबाही मचाई कि लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए। रक्सौल के कई व्यापारी भी इस आगजनी में फंस गए, जो अब अपनी जान बचाने के लिए दुकानों में ताले लगाकर छिपे बैठे हैं।
हालात बेकाबू, 24 घंटे का कर्फ्यू लागू
जब स्थिति काबू से बाहर हो गई, तब नेपाल पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। बीरगंज में आग की लपटें उठ रही थीं, और पूरे इलाके में दहशत का माहौल था। मजबूरी में नेपाल प्रशासन को 24 घंटे का कर्फ्यू लगाना पड़ा, जिसे हालात देखते हुए और बढ़ाया जा सकता है। भारत-नेपाल की सीमा पूरी तरह सील कर दी गई है, जिससे रक्सौल के लोग नेपाल में फंस गए हैं।
रक्सौल में बेचैनी, अपनों के लौटने का बेसब्री से इंतजार!
रक्सौल के परिवार अपने परिजनों की सलामती के लिए बेहाल हैं। सदियों से भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता रहा है, लेकिन आज ये रिश्ता हिंसा की आग में झुलस रहा है। बीरगंज में छिपे रक्सौल के लोग जान बचाने के लिए चुपचाप दुबके हुए हैं, तो वहीं उनके परिजन आंखों में आंसू लिए अपनों की सकुशल वापसी का इंतजार कर रहे हैं। अब सवाल ये है- आखिर कब तक सनातन पर्वों को यूं ही निशाना बनाया जाता रहेगा? कब तक प्रशासन सोता रहेगा? क्या अब ये हमारी मजबूरी बन गई है कि त्योहारों पर सुरक्षा की भीख मांगी जाए?