पिछले कुछ वर्षों से देश में दलित-मुस्लिम की नई सियासत गढ़ने की कोशिश की जा रही है. तथाकथित बुद्धिजीवियों तथा वोट के सौदागरों द्वारा "जय भीम जय मीम" का नारा बुलंद किया जा रहा है. कहने को तो ये नारा राजनैतिक है लेकिन इसका मुख्य लक्ष्य हिन्दू समुदाय में विघटन पैदा करना है. दलित समाज की स्वघोषित ठेकेदार बीएसपी प्रमुख मायावती तथा मुस्लिमों के रहनुमा बनने का दावा करने वाले ओवैसी भी दलित मुस्लिम एकता की बातें करते नहीं थकते हैं.
लेकिन जय भीम जय मीम तथा दलित-मुस्लिम एकता के राजनैतिक नारों की हकीकत क्या है इसकी बानगी उत्तर प्रदेश के बरेली में देखने को मिली है. यहां मुस्लिमों ने दलित परिवार के घर में घुसकर उनके साथ मारपीट की. रियासुद्दीन उर्फ गब्बर, कमरुद्दीन और उनके साथियों ने लाठी-डंडे से दलित परिवार पर हमला किया और उन्हें जातिसूचक गालियां भी दीं. जानकारी के अनुसार मुस्लिमों ने दलित परिवार पर छेड़खानी का झूठा आरोप भी लगाया है. पुलिस ने दोनों पक्षों की ओर से मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस ने 2 लोगों पर शांतिभंग की धाराओं में चालान किया है.
मामला बरेली के भोजीपुरा थाना क्षेत्र के सैदपुर गांव का है. यहां अनुसूचित जाति (SC) वर्ग के विजय कुमार ने एक एफआईआर दर्ज करवाई. एफआईआर में विजय कुमार ने बताया कि 13 दिसंबर को दोपहर के समय उन्हीं के गांव के रहने वाले रियासुद्दीन उर्फ गब्बर, कमरुद्दीन, बसरूद्दीन और उसका बेटा भूरा उनके घर में आ गए. रियासुद्दीन ने पीड़ित परिवार पर लाठी-डंडे से हमला कर दिया. इसके साथ ही उन लोगों ने पीड़ित परिवार को जातिसूचक गालियां दीं. विजय कुमार ने बताया कि जब उनके चाचा गिरधारी बचाव के लिए आए तो उन लोगों ने उनके साथ भी मार-पीट की.
जब शोर सुनकर आस-पास के लोग वहां आए तो रियासुद्दीन और उसके साथी पीड़ित परिवार को जान से मारने की धमकी देकर वहां से भाग गए. इस पूरी घटना का एक वीड़ियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीड़ियो में देखा जा रहता है कि कुछ लोग लाठी-डंडे से कुछ लोगों की पिटाई कर रहे हैं. इसके साथ ही देखा जा सकता है कि बचाव के लिए महिलाएं भी बीच में आई थी.