पिछले डेढ़ दशक से जिसका इंतजार हर भारतीय कर रहा था, वो पल आखिरकार आ ही गया। अमेरिका से लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भारत ने तहव्वुर हुसैन राणा को अपने कब्जे में ले लिया है। डॉक्टर से कारोबारी और फिर खूंखार आतंकी बनने वाला राणा, 26/11 मुंबई हमले का गुनहगार है। चलिए जानते हैं, कैसे एक पढ़ा-लिखा इंसान आतंक की राह पर चल पड़ा।
पाक की गलियों से कनाडा और अमेरिका तक का सफर
64 वर्षीय तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी में हुआ। मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर वो पाकिस्तानी सेना के मेडिकल डिवीजन में शामिल हो गया। लेकिन 1990 के आखिर में उसने फौज की नौकरी छोड़ दी और कनाडा का रुख किया।
वहां कुछ साल बिताने के बाद अमेरिका में बस गया और शिकागो में 'फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज' के नाम से इमिग्रेशन का कारोबार शुरू कर दिया। इसी दौरान उसकी मुलाकात बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली से हुई, जिसे दाऊद गिलानी के नाम से भी जाना जाता है। हेडली खुद भी 26/11 हमले का मास्टरमाइंड है।
दोस्ती से दहशत तक: जब राणा बना आतंकी
हेडली से रिश्ते गहरे होने के साथ ही राणा की जिंदगी ने खतरनाक मोड़ ले लिया। हेडली के जरिए राणा का संपर्क लश्कर-ए-तैयबा से हुआ और वो आतंकी नेटवर्क में शामिल हो गया। भारतीय जांच एजेंसियों के मुताबिक, राणा ने मुंबई हमले की साजिश रचने में हेडली का साथ दिया था।
सिर्फ इतना ही नहीं, राणा पर हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (HuJI) जैसे आतंकी संगठनों के साथ मिलकर भारत में हमलों की योजना बनाने का भी आरोप है। लंबे समय से राणा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए भी काम करता रहा है।