भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात के बीच दक्षिण एशिया में एक और युद्ध की संभावनाएं गहरा गई हैं। म्यांमार के गृहयुद्ध के बीच बांग्लादेश में मांग उठने लगी है कि रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए म्यांमार को विभाजित कर एक अलग राष्ट्र बनाया जाए। इस विवादित मांग को पाक समर्थक कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने हवा दी है।
जानकारी के मुताबिक, जमात ने ढाका में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर अराकान प्रांत में नया मुस्लिम देश बनाने का प्रस्ताव सौंपा है। अराकान क्षेत्र फिलहाल विद्रोही गुट अराकान आर्मी के नियंत्रण में है। इस घटनाक्रम के बीच अमेरिकी सैन्य अधिकारी भी बांग्लादेशी सेना से मुलाकात कर चुके हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
ढाका में हुई बैठक में जमात नेता सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहेर ने दावा किया कि बांग्लादेश में 11 से 12 लाख रोहिंग्या बदतर हालात में जी रहे हैं और केवल भोजन व कपड़े देना स्थायी समाधान नहीं है। ताहेर ने कहा कि एकमात्र हल यही है कि रोहिंग्याओं को उनके क्षेत्र में वापस भेजा जाए और वहां स्वतंत्र अराकान राष्ट्र स्थापित किया जाए। जमात ने चीन से तीस्ता प्रोजेक्ट, दूसरे पद्मा पुल और एक बंदरगाह परियोजना में निवेश की भी मांग की। उल्लेखनीय है कि भारत पहले से तीस्ता प्रोजेक्ट में चीन की भागीदारी का विरोध करता रहा है। जमात ने दावा किया कि क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी चीनी अधिकारियों के साथ चर्चा हुई, जिसका इशारा भारत के खिलाफ तनाव बढ़ाने की रणनीति की ओर था।
ISI की चालबाज़ी और भारत के लिए बढ़ती चिंता
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश में सक्रिय होकर रोहिंग्या मुस्लिमों की एक अलग सेना खड़ी कर रही है। माना जा रहा है कि बांग्लादेश की सेना म्यांमार में सैन्य कार्रवाई की तैयारी में जुटी है, जो भारत के लिए खतरे की घंटी है, क्योंकि भारत का उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती इलाका म्यांमार और बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है। जमात-ए-इस्लामी के नेताओं को जल्द ही चीन बुलाया जा सकता है, जिससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ने का खतरा गहरा गया है।