कुछ समय पहले सुदर्शन न्यूज ने एक सीरीज चलाई थी। नाम था upsc जिहाद या दूसरे शब्दों मे नौकरशाही जिहाद। तब हमारे प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी ने आँकड़ों के साथ साबित किया था कि विगत 1 दशक मे आईएएस और आईपीएस की नौकरियों मे मुस्लिमों की संख्या पहले के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। तब वामपंथी और इस्लामी गिरोह ने इस मामले मे हंगामा खड़ा करने का प्रयास किया था। हमारी आवाज दबाने के लिए आईपीएस एसोसिएशन तक ने बिना आँकड़े पढे ट्वीट कर डाला। आखिरकार वक्फ बिल के विरोध मे इस्तीफा दे कर आईपीएस नुरुल हुदा ने सुदर्शन न्यूज के तमाम दावों पर मुहर लगा दी है। अब इस मामले मे आईपीएस एसोसिएशन फिलहाल चुप है।
ताजा जानकारी के मुताबिक बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी नुरुल हुदा ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। वो 1995 बैच के अफसर थे। नुरुल बिहार के बड़े प्रशासनिक पदों पर तैनात रहे हैं। नौकरी छोड़ने की वजह नुरुल ने सरकार द्वारा वक्फ बिल को लागू करना बताया है। उन्होंने संसद के दोनों सदनों सहित राष्ट्रपति तक द्वारा पारित कर दिए गए इस बिल की खिलाफत करने के लिए राजनैतिक लड़ाई शुरू कर दी है। यह लड़ाई शुरुआत मे नुरुल बिहार की वीआईपी पार्टी से लड़ेंगे।
अपने इस्तीफे के दौरान नुरुल हुदा रेलवे पुलिस में डीआईजी पद पर तैनात थे। वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश साहनी ने पूर्व आईपीएस नुरुल हुदा के अपने साथ आने की पुष्टि की है। मुकेश साहनी अपने साथी और समर्थकों के साथ विपक्षी गठबंधन के सदस्य बने हुए हैं। आईपीएस अधिकारी हुदा मूलतः बिहार के सीतामढ़ी जिले के निवासी हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि राजनैतिक क्षेत्र मे आ कर वो मुस्लिमों को और मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे। नुरुल ने भाजपा पर अपनी वर्षों से दबी खुन्नस निकाली और उसे विभाजनकारी पार्टी कह डाला।
भारत एक लोकतंत्रितक देश है। यहाँ जनता द्वारा चुनी हुई संसद कानून पारित करती है। उस कानून को हिन्दू समाज सहर्ष स्वीकार करता आया है। हालाँकि पिछले कुछ समय से मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका लोकतंत्रितक सरकार के द्वारा लागू किए जा रहे तमाम जनकल्याणकारी कानूनों का लगातार विरोध कर रहा है। इसी विरोधी खेमे मे आईपीएस नुरुल हुदा भी शामिल हो गए हैं। फिलहाल नुरुल हुदा की हरकत ने सुदर्शन न्यूज के यूपीएससी जिहाद के तमाम दावों पर मुहर लगा दी है।