लुटियन मीडिया और योगी आदित्यनाथ:
पिछले विधानसभा चुनाव बीजेपी की बंपर जीत को योगी आदित्यनाथ के व्यक्तितत्व और उनके काम से नहीं जोड़ा सकता था। इस लिए योगी आदित्यनाथ दूर दूर तक मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं थे। जिस तरह की उनकी कट्टर हिंदू की छवि बनाईं गई थी, उसके चलते कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि उनको उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और जटिल राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता था। खुद योगी जी ने भी ऐसी कल्पना नहीं की थी। उसका कारण यह भी हो सकता है कि योगी जी बीजेपी के सदस्य नहीं थे।
मुख्यमंत्री की दौड़ में उस समय मुख्य रूप से केशव प्रसाद मौर्य और मनोज सिन्हा शामिल थे। कयास के विपरीत जब योगी जी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला हुआ तो सबकी आंखे फटी की फटी रह गई। बीजेपी नेतृत्व के इस फैसले से मुस्लिम समाज तो हतप्रभ हुआ ही, जो खुद को सेकुलरिस्ट कहते हैं, उनको और लुटियन मीडिया ( कांग्रेस सरकारों द्बारा पोषित दिल्ली का मीडिया ) को बहुत बड़ा धक्का लगा। फिर क्या था? लुटियन मीडिया लग गया योगी जी के खिलाफ प्रचार- प्रसार में। जिस तरह से लुटियन मीडिया ने मोदी जी के खिलाफ विश्व भर में दुष्प्रचार किया, उसी तरह वह योगी जी के पीछे भी पड़ गया।
योगी जी की वेशभूषा और उनके रहन- सहन की बात तो छोड़िए, लुटियन मीडिया ने उनकी काबिलियत पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया। ऐसा करते वक़्त लुटियन मीडिया ने इस तथ्य की भी उपेक्षा कर दी कि योगी जी 2014 में 05 वीं सांसद बने थे। लुटियन मीडिया ने इस तथ्य पर जान बूझकर गौर नहीं किया कि एक सांसद के रूप में योगी जी का योगदान सूरज की तरह था तो लुटियन मीडिया के सबसे प्रिय सांसद राहुल गांधी का योगदान जुगनू की तरह भी नहीं था।
अखिलेश यादव भी इस समय सांसद हैं। अखिलेश जी भी एक सांसद के रूप में योगदान के मामले में योगी के सामने नहीं टिकते।
राहुल गांधी और अखिलेश यादव की बात छोड़ दी जाए तो भी एक सांसद के रूप में योगी जी का योगदान राष्ट्रीय औसत से अधिक था।
उनके उक्त योगदान का विस्तृत ब्यौरा :
सांसद के रूप में योगी का योगदान:
--योगी बनाम राहुल--
16 वीं लोकसभा में ( 2014-17 के बीच):
1) चर्चा ( डिबेट ) में भाग लिए : राष्ट्रीय औसत 50.6; योगी-57 ; राहुल-11.
2) प्रश्न पूछे गए: राष्ट्रीय औसत 199; योगी-
306; राहुल- 0.
3) निजी विधेयक ( प्राइवेट बिल ) पेश किए गए: योगी- 03; राहुल- 0.
अखिलेश यादव का योगदान 17 वीं लोकसभा ( 2019 से 2021 के बीच )
- उपस्थिति : 36%; प्रश्न पूछे: 0
पीटीआई ( 2021 ) के अनुसार अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश से सबसे खराब योगदान देने वाले सांसद के रूप में चित्रित किया गया है।
ऐसे व्यक्ति की क्षमता पर सवाल खड़ा करके 'लुटियन मीडिया' ने यह सिद्ध कर दिया था कि उसके अन्दर किसी व्यक्ति के मूल्यांकन की क्षमता नहीं है। दरअसल स्वतंत्र भारत में भी लुटियन मीडिया गुलामी का प्रतीक है और उसका सारा का सारा जोर आम आदमी को अंग्रेजियत का पाठ पढ़ाकर ग़ुलाम बनाने में लगा रहता है। लुटियन मीडिया उसको काबिल समझता है जिसका लुक, वेशभूषा आदि बिल्कुल पश्चिमी ढर्रे पर हो। चूंकि योगी जी तो सन्यासी हैं, इस लिए इनका मजाक उड़ाने में भला लुटियन मीडिया कैसे पीछे रहता। बहरहाल योगी जी ने सिद्ध कर दिया कि योगी जी का कोई विकल्प नहीं है।
नोट: डेटा का स्रोत शांतनु गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक, ' The Monk who Transformed Uttar Pradesh'
धन्यवाद!
जय हिंद! भारत माता की जय! वंदे मातरम!