माघ माह की पूर्णिमा का पर्व देशभर में धार्मिक उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर विशेष रूप से प्रयागराज और काशी में श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा देखा जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि इस दिन को गंगा स्नान और सूर्य पूजा का विशेष दिन माना जाता है। इस साल माघ पूर्णिमा के अवसर पर काशी में आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा है, और काशी के घाटों पर भारी संख्या में श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।
काशी के प्रमुख घाटों में से शीतला घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट और अन्य कई घाटों पर श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या देखी जा रही है। लाखों की संख्या में लोग गंगा नदी में स्नान करने के लिए पहुंचे हैं, और भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर रहे हैं। विशेष रूप से गंगा नदी में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व अधिक होता है, जिसे श्रद्धालु पुण्य लाभ के रूप में मानते हैं।
यह दृश्य न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह काशी की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक महत्व को भी प्रदर्शित करता है। काशी, जिसे भगवान शिव का शहर माना जाता है, में माघ पूर्णिमा के दिन का विशेष धार्मिक महत्व है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
इस दिन काशी में चहल-पहल का माहौल देखने को मिल रहा है। घाटों पर धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण से वातावरण गुंजायमान हो रहा था। काशी के घाटों पर पंक्तिबद्ध श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हुए गंगा स्नान कर रहे थे। काशी में इस बार जो भारी भीड़ देखी जा रही है, वह निश्चित ही पूर्व के वर्षों के मुकाबले अभूतपूर्व है। माघ पूर्णिमा के दिन की इस विशाल आस्था की उमंग ने काशी को एक बार फिर से एक अद्वितीय धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित किया है।