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उन्होंने कहा कि विपक्ष को यह बात मालूम होना चाहिए कि निजीकरण के तहत जब नोएडा पावर कंपनी को नोएडा क्षेत्र का काम दिया गया उस समय प्रदेश में राष्ट्रपति शासन था और यहां पर कांग्रेस की सरकार थी।