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संघर्ष समिति ने की ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट का घोटाला सामने आने के बाद निजीकरण रद्द करने की अपील

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि वाराणसी में 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में सैकड़ो करोड रुपए की नई बिजली परियोजनाओं के शिलान्यास के मद्देनजर विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जानी चाहिए।

Rajat Mishra
  • Apr 10 2025 9:53PM

इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ

       
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि वाराणसी में 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में सैकड़ो करोड रुपए की नई बिजली परियोजनाओं के शिलान्यास के मद्देनजर विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जानी चाहिए। 
 
संघर्ष समिति ने ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के झूठे शपथ पत्र और सामने आए घोटाले को देखते हुए कहा है कि संघर्ष समिति के इस आरोप की पुष्टि हो गई है कि निजीकरण में भारी घोटाला हो रहा है। अतः निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रद्द की जानी चाहिए। संघर्ष समिति ने बड़े पैमाने पर निजी घरानों से ऊर्जा निगमों में निदेशक बनाए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज बताया कि 11 अप्रैल को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम विशेषता वाराणसी नगर में बिजली व्यवस्था के सुधार हेतु 500 करोड रुपए से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाने वाला है । यह सब धनराशि सरकारी क्षेत्र में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में खर्च की जायेगी ।
 
संघर्ष समिति ने कहा कि आरडीएसएस स्कीम लागू होने के बाद लगातार बिजली व्यवस्था में सुधार हो रहा है और ए ट एंड सी हानियां कम हो रही है। अब माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 500 करोड रुपए से अधिक की परियोजनाएं सरकारी क्षेत्र में विद्युत वितरण निगम के लिए स्वीकृत की जा रही है। इस धनराशि से बिजली व्यवस्था में और सुधार होगा। ऐसी स्थिति में व्यापक सुधार के बाद बिजली व्यवस्था निजी क्षेत्र को देने का क्या औचित्य है । उन्होंने मांग की कि विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाए।
         
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन के झूठे शपथ पत्र और तमाम फर्जी दस्तावेजों के उजागर होने के बाद संघर्ष समिति के इस आरोप की पुष्टि हो गई है कि निजीकरण की सारी प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है । उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति प्रारंभ से ही कहती रही है कि निजीकरण की प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और मेगा भ्रष्टाचार हो रहा है। निजीकरण के विरोध में लखनऊ में हुई विशाल रैली के बाद आज सभी जनपदों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने संघर्ष के लिए घोषित किए गए कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु विचार विमर्श किया।

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