भिन्नात्मक क्रम वाली अराजक प्रणालियों का सिंक्रनाइजेशन शक्तिशाली अध्ययन का विषय है: पुरुषोत्तम सिंह
गाजीपुर। पी० जी० कालेज, गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्टी में विज्ञान संकाय के अन्तर्गत गणित विषय के शोधार्थी पुरुषोत्तम सिंह ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक "भिन्नात्मक कलन और गतिशील प्रणाली पर कुछ समस्याएँ " नामक विषय पर शोध प्रबंध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले कुछ दशकों में अराजकता और तुल्यकालन के अध्ययन में कई वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित हुआ है। अराजक व्यवस्था के दो गुण होते है, पहला गुण होता है अराजक व्यवस्था की प्रारंभिक स्थिति के प्रति संवेदनशीलता और दूसरा गुण होता है उसकी सकारात्मकता, ल्यपुनोव नामक गणितज्ञ ने इसे और अधिक जटिल बना दिया है। इसके अलावा इंजीनियरिंग, जीव विज्ञान, भौतिकी, सामाजिक विज्ञान आदि के क्षेत्र में इसका व्यापक अनुप्रयोग होता है। सिंक्रोनाइजेशन के अध्ययन में सैद्धांतिक के साथ-साथ व्यावहारिक पहलू भी सम्मिलित होते है। पेकोरा और कैरोल ने पहली बार 1990 में अराजक प्रणालियों को सिंक्रनाइज्ड करने का विचार प्रस्तावित किया, यह प्रदर्शित करते हुए कि एक साधारण युग्मन का उपयोग करके अराजक प्रणालियों को सिंक्रनाइज्ड करना संभव है। कई शिक्षाविदों ने अराजक गतिशील प्रणालियों के सिंक्रोनाइजेशन की गहराई से जांच की है, और पारिस्थितिक प्रणालियों, भौतिक प्रणालियों, रासायनिक प्रणालियों, सुरक्षित संचार आदि में इसके महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के कारण इसने विभिन्न डोमेन में काफी रुचि पैदा की है। अराजक प्रणालियों जैसे गैर-रेखीय मॉडल में भिन्नात्मक कलन के उपयोग ने मौजूदा मुद्दों को एक नया आयाम दिया है। संचार सिद्धांत और नियंत्रण प्रसंस्करण में इसके असंख्य अनुप्रयोगों के कारण, भिन्नात्मक क्रम वाली अराजक प्रणालियों का सिंक्रोनाइजेशन एक शक्तिशाली अध्ययन का विषय है। प्रस्तुतीकरण के बाद विभागीय शोध समिति अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र - छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी ने संतुष्टि पूर्ण एवं उचित उत्तर दिया तत्पश्चात अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के चेयरमैन एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबन्ध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया
इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, प्रोफे०(डॉ०)अरुण कुमार यादव, डॉ०कृष्ण कुमार पटेल, डॉ०रामदुलारे, शोध निर्देशक डॉ० मयंक श्रीवास्तव, गणित विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० हरेंद्र सिंह, डॉ० प्रतिमा सिंह, अन्य प्राध्यापक गण व छात्र छात्राएं आदि उपस्थित रहे। अंत में विभागाध्यक्ष डॉ० हरेंद्र सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया और संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे०(डॉ०) जी० सिंह ने किया।
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