लंबे समय तक अपनी सख्त इस्लामिक पहचान के लिए सऊदी अरब जाना जाता रहा है। मगर अब बदलाव की राह पर तेजी से अग्रसर है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की अगुवाई में देश को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
इसी सिलसिले में उन इलाकों को भी विदेशी पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, जहां पहले गैर-मुस्लिमों का प्रवेश सख्त वर्जित था। इन्हीं जगहों में शामिल है अलउला- सऊदी अरब के सुनसान रेगिस्तान में बसा यह शहर कभी 'शापित' माना जाता था। कहा जाता है कि इसे इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद ने शाप दिया था।
अलउला में मौज-मस्ती के दृश्य, सोशल मीडिया पर नाराज़गी
अलउला का हिजरा इलाका, जिसे पहले मुस्लिम समुदाय भी जाने से कतराता था, आज विदेशी पर्यटकों से गुलजार हो गया है। यहां कैबरे शो हो रहे हैं, अंग्रेजी संगीत की धुनों पर जश्न मनाया जा रहा है। कभी डर और कट्टर मान्यताओं से घिरे इस स्थल पर अब ओपन क्लब जैसा माहौल बन गया है।
मुस्लिम समुदाय के कई लोग इस परिवर्तन से नाराज़ हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर यूजर्स खुलकर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। एक यूजर मिर्जा बेग ने लिखा, "यह वही भूमि है, जहां अल्लाह की अवहेलना पर कहर बरपा था। आज, वहां फिर से लोग अपने मजहब और सम्मान को भुलाकर जश्न मना रहे हैं।"
अरब परंपराओं की अनदेखी!
मिर्जा बेग जैसे कई यूजर्स का कहना है कि यह उत्सव न केवल मजहबी भावनाओं का अपमान है, बल्कि अरब की सांस्कृतिक विरासत के साथ भी खिलवाड़ है। खासकर, जब गाजा में युद्ध का मंजर है और वहां लोगों का खून बह रहा है, तब इस तरह के आयोजनों पर सवाल उठ रहे हैं।
बेग ने तीखा सवाल करते हुए कहा, "जब गाजा में मासूम बच्चे मारे जा रहे हैं, तब इन आयोजनों में मग्न लोग क्या अल्लाह के गुस्से से डरते नहीं? यह वही धरती है जहां अहंकारियों को सबक सिखाया गया था।"
सऊदी अरब के इस नए रुख ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी हैं। जहां सरकार इसे आर्थिक विकास और वैश्विक आकर्षण के तौर पर देख रही है, वहीं कई परंपरावादी इसे अपनी धार्मिक मान्यताओं और विरासत के खिलाफ मान रहे हैं।