दुर्गा पूजा के नजदीक आते ही कट्टरपंथी इस्लामी ने बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों को खुलेआम त्योहार न मनाने और किसी भी मूर्ति पूजा या विसर्जन में शामिल न होने की चेतावनी दी है. जानकारी के अनुसार, कट्टरपंथी इस्लामी इंसाफ कीमकरी छत्र-जनता ने ढाका के सेक्टर 13 में हिंदू समुदाय के दुर्गा पूजा समारोहों के लिए खेल के मैदान के इस्तेमाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
प्रदर्शनकारियों के हाथ में बांग्ला में लिखी हुईं तख्तियां थी, जिस पर लिखा था कि 'सड़क बंद करके दुर्गा पूजा न करो.' इस बात को लेकर भी विरोध किया गया कि केवल 8 प्रतिशत आबादी वाले हिंदुओं के त्योहार को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है. दुर्गा पूजा को मुसलमानों के लिए परेशानी बताते हुए त्योहार पर छुट्टी को खत्म करने की मांग की गई.
इस कट्टरपंथी ग्रुप ने ढाका के सेक्टर 13 में एक मार्च निकाला, जिसमें हिंदुओं द्वारा खेल के मैदान के उपयोग का विरोध किया गया. जो सालों से उस स्थान पर दुर्गा पूजा मनाते आ रहे हैं. जिन्होंने अपने विरोध प्रदर्शन में हाथों में तख्तियां भी ली थीं. जिन पर पर्यावरण का हवाला देते हुए लिखा गया था कि. सड़कें बंद करके कहीं भी पूजा नहीं की जाएगी, मूर्ति विसर्जन से जल को प्रदूषित नहीं किया जाएगा और मूर्तियों की पूजा नहीं की जाएंगी.
जहां मुहर्रम जैसे आयोजनों पर पुख्ता इंतजाम करने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की ममता सरकार को हर हिन्दू त्योहार की तरह दुर्गा पूजा से भी परेशानी है. जहां नादिया जिले में 112 फीट की दुर्गा प्रतिमा तैयार हो रही थी. स्थानीय लोगों ने चंदा करके सबसे ऊंचा दुर्गा पूजा पंडाल बनाने का बीड़ा उठाया था. इसके लिए पिछले 6 महीने से प्रतिमा बनाने का काम चल रहा था. लेकिन अचानक से ममता प्रशासन की तरफ से प्रतिमा बनाने की इजाजत देने से इंकार कर दिया गया और ममता दीदी की पुलिस अचानक पंडाल में सारा काम रुकवाकर चली गई. ऐसे में आज बंगाल से लेकर बांग्लादेश तक दुर्गा पूजा पर कट्टरपंथियों की तलवार लटक रही है और हर बार की तरह इस बार भी विश्व में अल्पसंख्यकों की दुहाई देने वाले वामपंथी मौन हैं.