सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी देवोत्थान एकादशी। इस वर्ष 12 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को देवोत्थान एकादशी का पावन पर्व मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
इस अवसर पर भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न होगा। 17 जुलाई को हरिशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में गए थे, और अब देवोत्थान एकादशी के दिन वे पुनः जागेंगे। इस व्रत और पूजा से सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति का आशीर्वाद माना जाता है।
भगवान विष्णु की पूजा और दान-पुण्य का महत्व
देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना से जीवन में शांति, समृद्धि और वैभव का संचार होता है। इस दिन भगवान को गन्ना, सुथनी, सिंघाड़ा, गंजी, और आंवला अर्पण करने का विशेष महत्व है, जो उन्हें प्रसन्न करता है। इस दिन दान-पुण्य करना भी अति महत्वपूर्ण माना गया है, जो सभी बाधाओं को दूर करता है। यह माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते हैं और चार माह तक पाताल लोक में राजा बली के पास रहने के बाद वापस आते हैं।
तुलसी विवाह की परंपरा
इस अवसर पर माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाता है। परंपरानुसार, यह विवाह द्वादशी के दिन, यानी 13 नवंबर को होगा, लेकिन कई भक्त एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह करते हैं। माना जाता है कि इस विवाह से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनका आशीर्वाद मिलता है।
श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा-अर्चना
देवोत्थान एकादशी पर श्रद्धालु व्रत रहकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करेंगे। विष्णु मंदिर के पुजारी विकास पांडेय के अनुसार, इस दिन भगवान को छप्पन भोग अर्पित किया जाएगा और उनका विधिवत पूजन किया जाता है।