रोशनी का त्योहार दिवाली रोशनी का त्योहार है। हिंदू धर्म में दिवाली के अलावा देव दिवाली भी मनाई जाती है। दिवाली और देव दीपावली दोनों ही भारत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहार हैं। कुछ ही दिनों में पांच दिवसीय रोशनी का त्योहार शुरू होने वाला है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। वहीं हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन देव दिवाली भी मनाई जाती है।
दीपों का त्योहार दिवाली इस बार 31 अक्टूबर को पड़ रही है। दिवाली के बाद रोशनी का एक और त्योहार मनाया जाता है, जिसे देव दिवाली कहा जाता है। दिवाली के 15 दिन बाद देव दिवाली मनाई जाती है. इस दिन को रोशनी का त्योहार माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल देव दिवाली किस तारीख को है।
क्यों मनाई जाती है देव दीपावली?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता दिवाली मनाते हैं इसलिए इस विशेष दिवाली को देव दीपावली कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसके बाद सभी देवताओं ने स्वर्ग में दीपक जलाए थे। ऐसा माना जाता है कि त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवताओं ने स्वर्ग में दिवाली मनाई थी। तभी से इस दिन देव दिवाली मनाने की शुरुआत हुई।
कब है देव दीपावली ?
इस साल देव दिवाली 15 नवंबर को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को दोपहर 12 बजे शुरू होगी और 16 नवंबर को शाम 05:10 बजे समाप्त होगी।
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल देव दिवाली 15 नवंबर को मनाई जाएगी. देव दिवाली हमेशा दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है. इसके अलावा कई जगहों पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी विवाह उत्सव भी मनाया जाता है। इसमें तुलसी जी का विवाह भगवान शालिग्राम से कराया जाता है।
देव दीपावली के दिन क्या किया जाता है?
देव दिवाली को देवताओं की दिवाली कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सभी देवता परिवर्तित रूप में पृथ्वी पर आते हैं और दिवाली मनाते हैं, इसलिए इस दिन देवताओं के लिए दीपक जलाने की परंपरा है। वाराणसी में देव दिवाली का विशेष महत्व है। हर साल देव दिवाली के दिन वाराणसी में गंगा तट पर लाखों दीपक जलाए जाते हैं। देव दिवाली पर पूरे वाराणसी यानी प्राचीन काशी में अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। इस दिन लोग मुख्य रूप से जलस्रोतों के पास दीपक जलाते हैं।