सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

Makar Sankranti 2025: आज मनाया जाएगा मकर संक्रांति का त्योहार, जानें इसका महत्व और इतिहास

आज यानी 14 जनवरी 2025 को भारत में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।

Deepika Gupta
  • Jan 14 2025 8:33AM

आज यानी 14 जनवरी 2025 को भारत में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है और हर वर्ष सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, जिससे दिन लंबा होने लगता है और रात छोटी होती है। यह समय सर्दी का धीरे-धीरे खत्म होना और गर्मी की शुरुआत माना जाता है। मकर संक्रांति का त्यौहार पूरे भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, हालांकि इसका मुख्य उद्देश्य सूर्य देव की पूजा करना और उनके प्रति आभार व्यक्त करना होता है। तो जानिए इसका महत्व और इतिहास।

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता अपने मार्ग को बदलते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसे 'उत्तरायण' का प्रारंभ भी कहा जाता है, जो कि सूर्य के उत्तरायण जाने का प्रतीक है। इस दिन से सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं और ऋतु परिवर्तन की शुरुआत होती है।

इस दिन को लेकर विश्वास है कि यह दिन पुण्यदायिनी होता है और इस दिन दान, स्नान और पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन विशेष रूप से तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। खासकर महाराष्ट्र, उत्तर भारत और गुजरात में तिल-गुड़ के लड्डू और हलवा का प्रसाद वितरण किया जाता है।

मकर संक्रांति का इतिहास

मकर संक्रांति का इतिहास बहुत पुराना है और यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सबसे पहले महीने की शुरुआत में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से खेतों में काम करने वाले किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फसल कटाई का समय होता है। किसान अपनी मेहनत और अच्छे मौसम के लिए सूर्य देवता को धन्यवाद देते हैं। मकर संक्रांति से पहले की रात को विशेष पूजा और यज्ञ किए जाते हैं।

विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति

मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। पंजाब में इसे 'लोहड़ी' के रूप में मनाया जाता है, जबकि गुजरात और महाराष्ट्र में इसे 'उत्थान पंचमी' और 'मकर संक्रांति' के रूप में मनाते हैं। दक्षिण भारत में इसे 'पोंगल' कहा जाता है और बंगाल में 'तिलो-तरोन' के रूप में मनाया जाता है।

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

संबंधि‍त ख़बरें

ताजा समाचार