भारतीय सशस्त्र बलों के उन वीर सपूतों को सम्मानित किया गया जिन्होंने सैन्य अन्वेषण, खोजबीन और साहसिक अभियानों में अद्वितीय योगदान दिया है। राजधानी दिल्ली स्थित यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (USI) में आयोजित एक गरिमामय समारोह में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने चार जांबाज़ सैन्यकर्मियों को "मैक्ग्रेगर मेमोरियल मेडल" से सम्मानित किया।
इन वीरों को मिला सम्मान:
वर्ष 2023 के पुरस्कार विजेता:
विंग कमांडर डी. पांडा, भारतीय वायुसेना
ईए (सेवानिवृत्त) राहुल कुमार पांडे, भारतीय नौसेना
वर्ष 2024 के पुरस्कार विजेता:
सीएचईएए (सेवानिवृत्त) राम रतन जाट, भारतीय नौसेना
सार्जेंट झूमर राम पूनिया, भारतीय वायुसेना
136 वर्षों की विरासत वाला सम्मान
3 जुलाई 1888 को स्थापित यह मेडल मेजर जनरल सर चार्ल्स मैटकाफ मैक्ग्रेगर की स्मृति में दिया जाता है, जो 1870 में USI की स्थापना करने वाले महान सैन्य नेता थे। पहले यह मेडल केवल सैन्य खोज और गुप्तचर अभियानों के लिए दिया जाता था, लेकिन 1986 में इसे विस्तार देते हुए सैन्य साहसिक अभियानों को भी शामिल किया गया।
आज यह मेडल सभी रैंकों के सेवा में तैनात या सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों, टेरिटोरियल आर्मी, रिज़र्व फोर्सेस, राष्ट्रीय राइफल्स और असम राइफल्स के लिए खुला है। अब तक 127 सैनिकों को यह सम्मान दिया जा चुका है, जिनमें से 103 स्वतंत्रता से पूर्व के हैं।
वीरता की प्रेरणास्रोत सूची
इस मेडल के कुछ प्रसिद्ध प्राप्तकर्ता रहे हैं:
कैप्टन एफ.ई. यंगहसबैंड (1890)
मेजर जनरल ऑर्ड चार्ल्स विंगेट (1943)
मेजर ज़ेड.सी. बक्शी, वीर चक्र (1949)
कर्नल नरिंदर कुमार – सियाचिन ग्लेशियर खोज (1978–81)
कमांडर दिलीप डोंडे और लेफ्टिनेंट कमांडर अभिलाष टोमी – विश्व की एकल नौका यात्रा
‘ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव’ पुस्तक का लोकार्पण
इस अवसर पर CDS जनरल अनिल चौहान ने शहीद नायब सूबेदार चुन्नी लाल, अशोक चक्र, वीर चक्र, सेवा मेडल की जीवनगाथा पर आधारित प्रेरणादायक पुस्तक "Bravest of the Brave" का लोकार्पण भी किया।
इस पुस्तक को लेफ्टिनेंट जनरल सतीश डुआ (से.नि.) ने लिखा है, जो पूर्व चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ भी रह चुके हैं। जनरल चौहान ने लेखक को इस मार्मिक कृति के लिए बधाई दी और कहा कि यह पुस्तक एक सैनिक की भावना, बलिदान और अडिग साहस का जीवंत चित्रण है।
प्रेरणा और परंपरा का उत्सव
मैक्ग्रेगर मेमोरियल मेडल समारोह केवल वीरता का सम्मान नहीं, बल्कि एक ऐसी परंपरा का उत्सव भी है जो भारतीय सशस्त्र बलों के साहस, समर्पण और राष्ट्रीय सेवा की अद्भुत गाथाओं को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाता है। यह समारोह भावी सैनिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।