सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि का अधिक महत्व होता है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 2024 15 नवंबर को मनाई जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह दिन विशेष रूप से पुण्यकारी होता है और इस दिन विशेष संयोग भी बन रहे हैं, जो इसे और अधिक शुभ बनाते हैं। इस दिन को लेकर धार्मिक मान्यताएं और महत्व अत्यधिक हैं, और इसे "पद्म पूर्णिमा" या "वसुबरस" भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन का महत्व विशेष रूप से पूजा, व्रत, और दान के लिए होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार करता है।
शुभ संयोग और पूजा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो 2024 में विशेष रूप से इस दिन का धार्मिक महत्व बढ़ा रहे हैं। इस दिन का संबंध देव दीपावली से भी जुड़ा हुआ है, जब देवताओं के घरों में दीप जलाए जाते हैं। साथ ही, गंगा स्नान और काशी विश्वनाथ के दर्शन का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं और वह पुण्य के भागी बनता है। विशेष रूप से इस दिन महादेव की पूजा, दीपदान और गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति के योग होते हैं।
दान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का महत्व भी अत्यधिक है। इस दिन विशेष रूप से ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करने की परंपरा है, साथ ही किसी गरीब या जरूरतमंद को भी दान देना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से ताम्र, रजत, चांदी या तांबे के बर्तन में दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से गाय, बकरी, या अन्य जीवों को आहार देना भी पुण्यकारी माना जाता है।
मनचाहे फल की प्राप्ति
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन यदि व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से पूजा करता है और दान करता है, तो उसे उसके सभी मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है। खासकर जिन व्यक्तियों के जीवन में कोई कष्ट या विघ्न आ रहे हैं, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से कल्याणकारी है। इस दिन किए गए अच्छे कार्यों का फल शीघ्र मिलता है, और व्यक्ति की सारी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। साथ ही, यह दिन एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है, जो जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता लाता है।