भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस तिथि को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस शुभ अवसर पर गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। साथ ही इस दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गणेश विसर्जन के दौरान नियमों का पालन न करने से साधक शुभ फल पाने से वंचित रह जाता है। आइए जानते हैं गणेश विसर्जन के नियमों के बारे में।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
प्रात मुहूर्त: (चर, लाभ, अमृत)- सुबह 09:11 - दोपहर 01:47 तक
अपराह्न मुहूर्त: (शुभ) दोपहर 03:19 - शाम 04:51 तक
संध्या मुहूर्त: (लाभ) - रात 07:51 - रात 09:19 तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10:47 – 18 सितंबर सुबह 03:12 तक
गणपति विसर्जन मंत्र
ऊं यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
ऊं मोदाय नम:
इन चीजों के बगैर अधूरी है बप्पा की विदाई
गणेश विसर्जन से पहले बप्पा की विधिवत पूजा करें और उन्हें सिंदूर और साबुत चावल लगाएं। फिर इलायची, फूल, सुपारी, दूर्वा, पान के पत्ते, नारियल, शहद, गुलाल, जनेऊ, लोध, मोदक, केला आदि। फिर- धूपदीप आरती करें। इन सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करें।
गणेश विसर्जन के नियम
1. गणपति को विसर्जन के लिए ले जाते समय एक बात का ध्यान रखें कि उनका मुख घर की ओर होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि घर की ओर पीठ रखने से भगवान गणेश नाराज हो जाते हैं।
2. गणेश विसर्जन से पहले गणपति बप्पा से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ाने की प्रार्थना करें और जाने-अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए उनसे क्षमा मांगें।
3. विसर्जन से पहले भगवान की आरती करनी चाहिए और प्रिय वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए।
4. गणपति बप्पा को शुभ मुहुर्त में विदा करना चाहिए।
5. पूजा के दौरान अर्पित की गई चीजों को भगवान में ही विसर्जित करना चाहिए।
6. भगवान गणेश से अगले वर्ष आने की कामना करनी चाहिए।