जम्मू-कश्मीर में चुनावी माहौल है और यहां 18 सितंबर से वोटिंग शुरू होगी। इस चुनावी माहौल में ही पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के डिप्टी उमर अब्दुल्ला के अफजल गुरु पर दिए गए बयान से हंगामा मच गया है। उमर ने कहा कि, उन्हें नहीं लगता कि कश्मीरी अलगाववादी अफजल गुरु को फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा हुआ है।
उन्होंने साफ किया कि अफजल इस प्रक्रिया में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उनके इस बयान का खूब विरोध हो रहा है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उमर की आलोचना की है।
उमर ने यह भी कहा कि, यदि राज्य की मंजूरी की जरूरत होती तो वह नहीं दी जाती। अब्दुल्ला ने आगे कहा कि, 'दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि अफजल की फांसी से जम्मू-कश्मीर सरकार का कोई लेना-देना नहीं था। अन्यथा आपको राज्य सरकार की अनुमति से ऐसा करना पड़ता, जो मैं आपको स्पष्ट शब्दों में बता सकता हूं कि नहीं मिलती। हम ऐसा नहीं करते।"
उमर अब्दुल्लाह के इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया है। यह बयान ऐसे समय आया है जब वहां विधानसभा चुनाव होने हैं और उमर ने खुद दो सीटों से नामांकन दाखिल किया है। अफ़ज़ल गुरु 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले का दोषी था और 9 फरवरी 2013 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में उसे फाँसी दे दी गई थी।
अफजल गुरु को लेकर दिए गए बयान के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला विपक्ष से घिरते नजर आ रहे हैं। उमर अब्दुल्ला के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को लेकर दिए बड़े बयान के बाद सियासी भूचाल आ गया है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और भाजपा नेता कविंदर गुप्ता ने कहा कि, अगर भारत के विरुद्ध साजिश रचने वाले राष्ट्रविरोधी तत्वों को मौत की सजा दी जाती है, तो उमर अब्दुल्लाह को इस पर आपत्ति क्यों है? वे आतंकवादियों से समर्थन ले रहे हैं, तभी ऐसी भाषा बोल रहे हैं।