देशभर में से गणेश उत्सव धूमधाम से मनाई जा रही है। गणेश चतुर्थी के दिन से घर-घर में गणपति बप्पा विराजमान होते हैं। खास तौर पर तो गणेश उत्सव की धूम महाराष्ट्र में देखी जा सकती है। महाराष्ट्र जैसा उत्सव पूरी दुनिया कहीं देखने को नहीं मिल सकता है। गणेशोत्सव महाराष्ट्र के लिए सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।यहां गणेशोत्सव बड़े ही भव्य रूप से मनाया जाता है। गणेशोत्सव को इतने बड़े स्तर पर मनाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है।
बाल गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव को अंग्रेजों के खिलाफ जनजागरण का माध्यम बनाया, ताकि लोग एकजुट होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो सकें। आइए जानते हैं कि, गणेशोत्सव की शुरुआत कैसे हुई और यह त्योहार स्वतंत्रता संग्राम से कैसे जुड़ा?
शिव पुराण के अनुसार, भगवान श्री गणेश का प्राकट्य भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसी वजह से देशभर में लोग अपने-अपने घरों में इस दिन श्री गणेश जी की विशेष पूजा-अर्चना करते थे। लेकिन महाराष्ट्र में गणेशोत्सव को इतनी धूमधाम से मनाने का कारण ये नहीं था।
पेशवाओं ने शुरू की परंपरा
1890 के दशक में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, 'लोकमान्य' बाल गंगाधर तिलक अक्सर मुंबई में चौपाटी पर समुद्र के किनारे बैठते थे और सोचते थे कि लोगों को एकजुट करने का क्या हल हो सकता है। तभी उनके मन में विचार आया कि क्यों न सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया जाए, ताकि समाज के हर वर्ग के लोग इसमें भाग ले सकें। इसी विचार ने गणेशोत्सव को राष्ट्रीय पर्व का रूप दिया, जो स्वतंत्रता संग्राम में जनजागरण का प्रमुख साधन बना।
यदि हम गणेशोत्सव की ऐतिहासिक जड़ों की बात करें तो इसका श्रेय मराठा पेशवाओं को दिया जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पेशवा सवाई माधवराव के शासनकाल के दौरान पुणे के प्रसिद्ध शनिवारवाड़ा महल में एक भव्य गणेश उत्सव का आयोजन किया गया था। हालाँकि, ब्रिटिश शासन के दौरान इस त्यौहार की भव्यता कम हो गई, लेकिन यह परंपरा फिर भी जीवित रही और हिन्दू समाज में इसका महत्व बना रहा।
लोकमान्य तिलक का योगदान
गणेशोत्सव मनाने की परंपरा पेशवाओं ने शुरू की, लेकिन सार्वजनिक गणेशोत्सव का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को जाता है। तिलक ने 1893 में प्रथम सार्वजनिक गणेशोत्सव का आयोजन किया, जो धीरे-धीरे पूरे महाराष्ट्र क्षेत्र में लोकप्रिय हो गया। वीर सावरकर और कवि गोविंद ने नासिक में मित्रमेला संस्था बनाकर गणेशोत्सव मनाना शुरू किया था। इस संगठन का उद्देश्य पोवाडे जैसे देशभक्तिपूर्ण मराठी लोक गीतों को आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करना था, जो की पश्चिमी महाराष्ट्र में सनसनी बन गया।
श्रीराम और रावण की कहानियों के माध्यम से वह लोगों में देशभक्ति की भावना जगाने में सफल रहे और गणेशोत्सव के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को और ताकत मिली। इसके प्रभाव से गणेशोत्सव ने नागपुर, वर्धा, अमरावती जैसे शहरों में भी स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाई। महाराष्ट्र में तभी से गणेश उत्सव मनाने की परंपरा शुरू हुई और आज तक गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।