शारदीय नवरात्रि, जिसे दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। यह त्योहार मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना का पर्व है। नवरात्रि का आयोजन हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से होता है। इस दौरान, भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि का पर्व पूरे 9 दिनों तक मनाया जाता है। हर दिन अलग अलग माता यानि देवी को समर्पित है, ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के प्रथम तीन दिनों में मां दुर्गा की ऊर्जा और शक्ति की पूजा की जाती है।
मां दुर्गा के इन 9 रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। हर दिन इन रूपों की विशेष पूजा की जाती है, जो भक्तों के लिए अध्यात्मिक और मानसिक शांति का साधन बनती है।
1. शैलपुत्री: यह रूप पार्वती का है और शक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
2. ब्रह्मचारिणी: ज्ञान और तप का प्रतीक, ये भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति में मदद करती हैं।
3. चंद्रघंटा: ये दुष्ट आत्माओं का नाश करने वाली देवी हैं और सुरक्षा का प्रतीक हैं।
4. कूष्मांडा: जीवन को संजीवनी प्रदान करने वाली, ये समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं।
5. स्कंद माता: युद्ध और संघर्ष के समय इनकी आराधना से विजय मिलती है।
6. कात्यायनी: शक्ति और साहस का प्रतीक, ये अपने भक्तों को बल और साहस प्रदान करती हैं।
7. कालरात्रि: संकट और कठिनाइयों का नाश करने वाली, ये अज्ञानता को दूर करती हैं।
8. महागौरी: पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक, ये भक्तों को मानसिक और आत्मिक शांति देती हैं।
9. सिद्धिदात्री: ये सिद्धियों की दात्री हैं और इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।
इन 9 रूपों की पूजा करने से भक्तों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसके साथ ही उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने का साहस मिलता है। नवरात्रि का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी फैलाता है।