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यूपी एसटीएफ ने डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को दबोचा

बैंक खाते से लिंक मोबाइल नम्बर की सिम को अपने मोबाइल में डालकर एपीके फाइल के माध्यम से एसएमएस डाइवर्जन करने का एप डाउनलोड करता था।

Rajat Mishra
  • Dec 27 2024 5:17PM

इनपुट- ज्ञानेश लोहानी, लखनऊ

 
यूपी एस०टी०एफ० को पिछले काफी समय से सीबीआई/नारकोटिक्स / क्राईम ब्रांच के अधिकारी बनकर Digital Arrest कर ठगी करने वाले संगठित गिरोहों के सक्रिय होने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थी। इस सम्बन्ध में एसटीएफ उ०प्र० की विभिन्न टीमों/ इकाईयों को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था। 
 
जिसके क्रम में विशाल विक्रम सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक, एस०टी०एफ०, उ०प्र० के पर्यवेक्षण मे एस०टी०एफ० मुख्यालय स्थित साइबर टीम द्वारा अभिसूचना संकलन की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी तथा अभिसचूना तन्त्र को सक्रिय किया गया। अभिसूचना संकलन के क्रम में ज्ञात हुआ कि डा अशोक सोलंकी निवासी लखनऊ ने थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में मुकदमा पंजीकृत कराया कि उनको सीबीआई/नारकोटिक्स / क्राईमब्रांच के अधिकारी बनकर दो दिन तक जांच के नाम पर डिजिटल अरेस्ट कर 48.00 लाख रूपये की ठगी की गयी।
 
उपरोक्त प्रकरण पर तकनीकी विशेषज्ञता के आधार पर विश्लेषण एवं मुखबिर के माध्यम से सूचना के अनुसार एसटीएफ टीम द्वारा गुरूग्राम हरियाणा से 05 अभियुक्तों को, लखनऊ से 2 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उसी क्रम में दिनांक 26-12-2024 को अभियुक्त कृष्ण कुमार उपरोक्त को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार अभियुक्त कृष्ण कुमार ने पूछताछ में बताया कि वर्ष 2016 में आधुनिक इंस्टीट्यूट दुहाई गाजियाबाद में बीटेक में एडमीशन लिया था, परन्तु एक वर्ष बाद बीटेक ड्रापआउट कर मोनार्ड युनिवर्सिटी हापुड से बीएससी किया। 
 
अक्टूबर 2023 मे उसकी मुलाकात राहुल चौहान जो मुरादनगर गाजियाबाद में जेके मेडिकल स्टोर चलाते थे से हुई थी। राहुल ने उसको गेमिंग स्कैमिंग, मिक्सिंग व स्टाक पर काम करने के बारे में बताया। जिसके लिए कार्पोरेट एकाउन्ट को डिटेल / किट (एकाउन्ट होल्डर के बैंक का एकाउन्ट नं०, आईएफएससी कोड, कस्टमर आईडी, कार्पोरेट आईडी, इंटरनेट बैंकिंग लॉगिन आईडी-पासवर्ड, ईमेल आईडी-पासवर्ड, आधार नं०, पैन नं०, चेक बुक, एटीएम कार्ड व एसएमएस अलर्ट नम्बर का सिम) के साथ किराये / कमीशन पर लेना है। कार्पोरेट एकाउन्ट को रेंट पर लेने के लिए उसने टेलीग्राम के माध्यम से राजकुमार व पंकज सुरेला से सम्पर्क किया। यह लोग उसको कमीशन पर कार्पोरेट बैंक एकाउन्ट की डिटेल / किट उपलब्ध कराने लगे। 
 
बैंक खाते से लिंक मोबाइल नम्बर की सिम को अपने मोबाइल में डालकर एपीके फाइल के माध्यम से एसएमएस डाइवर्जन करने का एप डाउनलोड करता था। इन बैंक खातों में इसने राहुल के माध्यम से मुहफिजुद्दीन से सम्पर्क कर साइबर ठगी का काम करने लगा। मुहफिजुद्दीन कम्बोडिया में मौजूद चाइनीज गैंग के सम्पर्क में था। इस गिरोह द्वारा डिजिटल अरेस्ट, स्टाक फाड, गेमिंग फाड आदि के माध्यम से भरतीय लोगों को अपने जाल में फंसाकर, इसके द्वारा (किराये / कमीशन) उपलब्ध कराये गये बैंक खातों में रूपये डलवाने का काम किया जाता था। इन बैंक खातों मे ठगी से जो रूपये आते थे उसमें से मुहफिजुद्दीन इनका कमीशन काट कर शेष रूपयों को यूएसडीटी में कनवर्ट कर चाइनीज गिरोह के वालेट पर भेज देता था।

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