सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

Kaal Bhairav Ashtami 2024: कौन हैं भगवान काल भैरव? जानिए रुद्र के अवतार की रोचक कथा

Kalashtami: आज है भैरव जयंती, पढ़िए शिव ने क्यों लिया इतना विकराल रूप?

Ravi Rohan
  • Nov 22 2024 1:13PM

इस वर्ष काल भैरव जयंती 22 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जा रही है। यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को कालाष्टमी, काल भैरव अष्टमी या भैरव अष्टमी भी कहते हैं। काल भैरव, जिन्हें तंत्र-मंत्र के देवता के रूप में पूजा जाता है, का इस दिन विशेष पूजन किया जाता है।

 कहा जाता है कि जो व्यक्ति काल भैरव की पूजा करता है, उसे अकाल मृत्यु, रोग या दोषों का भय नहीं सताता। काल भैरव को भगवान शिव के उग्र रूप के रूप में पूजा जाता है, और उन्हें रुद्रावतार माना गया है। वह न केवल अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, बल्कि बुरे कर्म करने वालों को दंड भी देते हैं। आइए जानते हैं काल भैरव के अवतार की अद्भुत कहानी।

 शिव ने क्यों लिया भैरव रूप?

 भगवान शिव ने भैरव रूप धारण करने के पीछे एक रोचक कथा है। एक बार सुमेरु पर्वत पर देवताओं ने ब्रह्मा जी से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा था। देवताओं ने पूछा, "हे परमपिता! इस संसार में कौन ऐसा अविनाशी तत्व है, जिसका न आदि है न अंत, और जो सभी को कर्ता-धर्ता की तरह नियंत्रित करता है?" इस पर ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया कि इस संसार में अविनाशी तत्व मैं ही हूं, क्योंकि सृष्टि का निर्माण मैंने किया है और मैं ही इसके आधार से हूं।

 जब यही सवाल विष्णु जी से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "मैं इस संसार का पालन-पोषण करता हूं, अतः मैं ही अविनाशी तत्व हूं।" इस उत्तर को सत्यापित करने के लिए चारों वेदों को बुलाया गया, जिन्होंने एक स्वर में कहा, "वह अविनाशी तत्व सिर्फ भगवान रुद्र हैं, जिनके भीतर समस्त चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाहित हैं। वह अजन्मे और अमर हैं, जिनका कोई आदि-अंत नहीं है।" 

 ब्रह्मा द्वारा शिव का अपमान और भैरव का अवतार

 जब ब्रह्मा जी के पांचवे मुख ने भगवान शिव के बारे में कुछ अपमानजनक शब्द कहे, तो वेदों को गहरा दुख हुआ। उसी समय, एक दिव्यज्योति के रूप में भगवान रुद्र प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने उन्हें संबोधित किया और कहा कि "तुम मेरे शरीर से उत्पन्न हुए हो, इसलिए तुम मेरी सेवा करो।" ब्रह्मा जी के इस आचरण से भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने भैरव नामक पुरुष को उत्पन्न किया। भैरव से कहा गया कि वह ब्रह्मा पर शासन करें।

 भैरव द्वारा ब्रह्मा का सिर काटना

 भैरव ने भगवान शिव के आदेश का पालन करते हुए ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट डाला, जिससे ब्रह्मा पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया। इसके बाद, भैरव ने काशी की यात्रा की, जहां उन्हें ब्रह्महत्या से मुक्ति मिली। भगवान शिव ने भैरव को काशी का कोतवाल नियुक्त किया और आज भी काशी में भैरव को कोतवाल के रूप में पूजा जाता है। काशी के दर्शन के बिना विश्वनाथ के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। काल भैरव जयंती पर भगवान काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को न केवल संसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि वे जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति भी प्राप्त करते हैं।

 

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

संबंधि‍त ख़बरें

ताजा समाचार